पहले मुफ्त बांटी, मवेशियों को खिलाई, फिर लौकी की फसल पर चला दिया ट्रैक्टर

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इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। इंदौर से सटे गौतमपुरा के रुणजी क्षेत्र में रहने वाले एक किसान को कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) इतना नागवार गुजरा की उसने आव देखा ना ताव और अपनी करीब 4 लाख की लौकी की फसल को मवेशियों के हवाले कर दिया। दरअसल, किसान इंदौर शहर में लगे कोरोना कर्फ्यू के प्रतिबंधों से आहत था, क्योंकि प्रदेश की सबसे बड़ी चोइथराम मंडी सहित अन्य थोक सब्जी मंडिया बंद पड़ी हुई है।

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किसान का नाम महेश पाटीदार बताया जा रहा है। किसान ने मार्च के पहले हफ्ते में करीब 15 हजार रुपये की कीमत के लौकी के बीज अपने 10 बीघा खेत मे बोए थे और फसल 60 दिनों में आना शुरू हो गई। लेकिन फसल की बोवनी के कुछ दिनों बाद ही कोरोना का संक्रमण बढ़ गया और कई शहरों में कोरोना कर्फ्यू लगा दिया गया। किसान की तैयार फसल तब से ही क्षेत्र व अन्य जिलों की मंडियों के बंद हो जाने से खेत में ही खराब होने लगी। तब किसान महेश पाटीदार ने दो दफा गाड़ी भरकर लौकी इंदौर की मंडी में भी पहुंचाई लेकिन कोरोना कर्फ्यू में सख्ती की आशंका के चलते इंदौर की मंडियों में लौकी का विक्रय नहीं हो सका।

फिर भी बच गई लौकी

हताश किसान ने लौकी बरबाद न हो इस लिहाज गौतमपुरा और आस पास के क्षेत्रों में बांट दी। वहीं किसान ने बकायदा आस पास के गांवों में लौकी निशुल्क ले जाने के लिये संदेश भी पहुंचा दिया। बावजूद इसके पूरे खेत लगी लौकी खराब होने लगी। तब किसान ने मवेशी छोड़ दिये, गौशाला भी भिजवा दी। लेकिन 10 बीघा खेत की लौकी खत्म नहीं हुई।

नहीं भूलेंगे किसान

आखिरकार किसान ने जैसे-तैसे अगली फसल के लिये खेत में तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन कोरोना कर्फ्यू के साइड इफेक्ट को अब ये किसान ताउम्र नहीं भूल पायेगा और इसके नुकसान को भरपाई कैसे होगी ये अभी भी बड़ा सवाल है। हालांकि ये अकेला मामला नहीं है, इसके पहले भी कई किसानों ने अपनी खड़ी फसल को न बिकने की स्थिति में अलग-अलग तरीके से ठिकाने लगा चुके हैं।


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Prashant Chourdia

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