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Tue, Dec 9, 2025

MP में स्टाम्प ड्यूटी 500% बढ़ी: कमलनाथ ने कहा ‘मध्यप्रदेश की अफलातूनी सरकार जनता के लिए बनी आफत’

Written by:Shruty Kushwaha
अब अगर आप शपथपत्र बनवाने जाएंगे तो 50 रुपए की जगह 200 रुपए देने होंगे। वहीं संपत्ति खरीद के एग्रीमेंट पर 1000 के बदले 5000 रुपए का स्टाम्प लगेगा। विधानसभा में पारित नए विधेयकों के तहत 12 दस्तावेजों..जैसे शपथपत्र, पॉवर ऑफ अटॉर्नी, एग्रीमेंट, और दानपत्र आदि पर स्टाम्प शुल्क में 100% से लेकर 500% तक की वृद्धि की गई है। इसके बाद अब कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।
MP में स्टाम्प ड्यूटी 500% बढ़ी: कमलनाथ ने कहा ‘मध्यप्रदेश की अफलातूनी सरकार जनता के लिए बनी आफत’

Madhya Pradesh Healthcare

मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को स्टाम्प शुल्क से जुड़े चार संशोधन विधेयकों को पारित किए जाने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। कमलनाथ ने इसे लेकर बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए उसे ‘अफलातूनी सरकार’ बताया है और कहा है कि ‘जनता जब-जब इस सरकार से राहत मांगती है, तब-तब ये सरकार आफत बनकर जनता पर ही टूट पड़ती है।’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट पेश करते समय सरकार झूठी वाहवाही लूटने के लिए कहती है कि कोई नया टैक्स नहीं लगाया है..किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं की है। लेकिन फिर इनके नकाब उतरने का दौर शुरू होता है। उन्होंने कहा कि वृद्धि दर 10% से 20% हो तो उसे स्वीकार भी किया जा सकता है, लेकिन वृद्धि दर 500% हो तो यह बात गले से नहीं उतरती है।

स्टाम्प शुल्क 500 प्रतिशत तक बढ़ा

विधानसभा में भारतीय स्टाम्प (मप्र संशोधन), जीएसटी (संशोधन), रजिस्ट्रीकरण (मप्र संशोधन) और भारतीय स्टाम्प (मप्र द्वितीय संशोधन) विधेयक पारित किए गए। इन विधेयकों के तहत शपथपत्र, पॉवर ऑफ अटॉर्नी, एग्रीमेंट, दानपत्र सहित 12 प्रकार के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क में भारी वृद्धि की गई है। आसान भाषा में समझें तो अब आपको शपथपत्र पर 50 रुपये की जगह 200 रुपये का स्टाम्प शुल्क देना होगा..जबकि संपत्ति खरीद के लिए किए जाने वाले एग्रीमेंट पर 1000 रुपये की बजाय 5000 रुपये तक का शुल्क लगेगा।

कमलनाथ ने सरकार को निशाने पर लिया

इसे लेकर कांग्रेस विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया और वॉकआउट भी किया। अब कमलनाथ ने इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि ‘सरकार को राजस्व बढ़ाने के लिए कारगर उपाय करने चाहिए लेकिन इस सरकार की हर उपाय जनता से वसूली पर जाकर टिक जाता है।’ इसी के साथ उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा है कि नीतियों और योजनाओं के क्रियान्वयन के पहले जनता के हितों और सहूलियतों को ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा कि आवश्यकता करों में सुधार या बदलाव यदि जरूरी हो तो भी व्यवहारिकता को ध्यान में रखकर आगे बढ़ा जाना चाहिए।