Madhya Pradesh: निजी शिक्षकों की सरकार से गुहार-अब हमारी भी चिंता कर लीजिये

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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना महामारी के बीच अनलॉक चार के तहत प्रतिबंध और छूट की घोषणा गृह मंत्रालय ने कर दी है लेकिन इसमें भी स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद रखने के निर्देश हैं। सरकार के इस फैसले से निजी कोचिंगों में छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक दुखी और आक्रोशित हैं। परेशान कोचिंग संचालकों का सरकार से कहना है कि जैसे सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता के साथ बाजार खोले जा सकते हैं तो सरकार कोचिंग संस्थानों को छूट क्यों नहीं दे रही। इससे छात्रों के भविष्य पर बुरा असर पड़ रहा है साथ ही यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षक बेरोजगारी का शिकार हो रहे हैं। निजी शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि सरकार जल्दी ही हमारी बात नहीं सुनती तो हम आने वाले चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

ग्वालियर में बहुत से कोचिंग संस्थान ऐसे हैं जिन्हें ट्यूशन क्लासेस कहना ज्यादा उचित होगा। वे बेरोजगार युवा जो उच्च शिक्षित तो हैं लेकिन उनके पास नौकरी नहीं हैं। ऐसे पढ़े लिखे युवा एक या दो कमरे में कोचिंग चलाकर दूसरे युवाओं को शिक्षित तैयार कर रहे हैं जिससे से देश की सेवा कर सकें लेकिन कोरोना महामारी में बड़े कोचिंग संस्थानों के साथ इन छोटे कोचिंग संस्थानों यानि ट्यूशन क्लासेस पर भी पिछले 6 महीने से ताले डले हुए हैं। जिसका असर यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षकों पर और छात्रों पर हो रहा है। छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पा रहा और शिक्षक आर्थिक मंदी झेल रहे हैं। हालांकि बहुत से शिक्षक online क्लासेस ले रहे हैं लेकिन छात्र संख्या आधी भी नहीं रह गई है। इसलिए इन निजी शिक्षको ने सरकार से कोचिंग संस्थानों को खोलने की गुहार लगाई है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)