अधर में संविदाकर्मियों का भविष्य, 90 दिन के इंतजार से नाखुश

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भोपाल। मध्य प्रदेश में लम्बे समय से संविदा कर्मचारी नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं| पिछली सरकार के सामने भी इन्होने आंदोलन, प्रदर्शन किया था, जिसके बाद सरकार ने नरमी दिखाई, लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार से संविदाकर्मियों को उम्मीद है| लेकिन संविदाकर्मियों के नियमितीकरण में एक बार फिर पेंच फंस गया है| उन्हें अभी 90 दिन का इन्तजार करना होगा|  तब तक किए जाने वाले धरना-प्रदर्शन व मांगों का कोई मतलब नहीं निकलेगा। सरकार के इस कदम से संविदाकर्मियों में निराशा है। अब वे कह रहे हैं कि सरकार बनने के डेढ़ महीने बाद सरकार कमेटी बनाती है तो वचन कैसे पूरे होंगे। चुनाव के पहले तो कांग्रेस ने सरकार बनते ही वचन पूरा करने का वादा किया था। 

मध्यप्रेदश में संविदा कर्मचारी लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ते आ रहे है लेकिन अब तक उनके इस हक की लड़ाई में कोई फैसला नहीं लिया जा सका। लेकिन विधानसभा चुनाव में कमलनाथ सरकार ने इस मुद्दे को अपने चुनावी वचन पत्र में शामिल किया था| वचन पत्र में कांग्रेस ने रोजगार सहायक, अतिथि शिक्षक एवं समस्त संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और जिन संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है, उन्हे पुन: नौकरी में वापस रखने की घोषणा की थी| लेकिन सरकार बनने के दो माह बाद सरकार ने इन पर विचार किया और अब लोकसभा चुनाव के पहले तीन मंत्री, गोविंद सिंह, डॉ. प्रभुराम चौधरी व तरुण भनोट के निर्देशन में एक कमेटी बना दी है। इस कमेटी को 90 दिन में मांगों के संबंध में प्रतिवेदन सौंपना है। 


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