सीएम ने ली आदिम जाति मंत्रणा परिषद की बैठक, आदिवासियों को लेकर कई फैसले

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भोपाल| प्रदेश के मुख्यमत्री कमलनाथ ने आदिम आदिम जाति मंत्रणा परिषद की बैठक में आदिवासियों को लेकर कई बड़े फैसले किये| सरकार ने फैसला किया है कि आदिवासी उपयोजना की राशि अनिवार्यत: खर्च करने और जनसंख्या के आधार पर बजट का आवंटन करने संबंधी कानून विधानसभा में लाया जाएगा। सीएम कमलनाथ की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई इस बैठक में  मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 में संशोधन पर परिषद के सदस्यों ने सर्व-सम्मति से अपनी स्वीकृति प्रदान की। बैठक में आदिम जाति कल्याण मंत्री ओंकार सिंह मरकाम, गृह मंत्री बाला बच्चन एवं परिषद के सदस्य तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बैठक में “वन मित्र” साफ्टवेयर और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये दिये जाने वाले खाद्यान्न की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और अंगूठे की अनिवार्यता समाप्त कर विकल्प खोजने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि यह कमेटी दस दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। मुख्यमंत्री ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत आदिवासी ब्लाक में प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी लेने से विभागीय पदोन्नतियों में आ रही बाधा के समाधान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश दिये। दोनों मुद्दों पर मंत्रणा परिषद के सदस्यों ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करवाया था।

मुख्यमंत्री ने आदिवासी मंत्रणा परिषद के सदस्यों की सब-कमेटियाँ बनाने के निर्देश दिये। ये सब कमेटियां स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सहित अन्य विषयों पर अलग-अलग बनाई जाएंगी। आदिम जाति कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में समितियों की हर माह बैठक होगी। इन समितियों के निष्कर्षों के आधार पर मंत्रणा-परिषद निर्णय लेगी। मुख्यमंत्री ने आदिवासी परिवारों को उचित मूल्यों की दुकानों से दाल उपलब्ध करवाए जाने संबंधी सुझाव पर विचार करने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री ने उन 10 मुद्दों पर विचार कर निर्णय लेने को कहा, जो सीधे आदिवासी हितों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर वे आदिम जाति कल्याण विभाग की बैठक लेंगे, जिसमें क्रियान्वयन का निर्णय लिया जाएगा। वहीं विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने कन्या विवाह एवं निकाह योजना में अनुदान राशि 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रुपये करने और मुख्यमंत्री मदद योजना में आदिवासी परिवारों को जन्मोत्सव पर 50 किलो तथा मृत्यु होने पर 1 क्विंटल खाद्यान्न नि:शुल्क देने के निर्णय पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा जिस पर सर्व-सम्मति व्यक्त की गई।


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