भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश में बिजली कंपनियों की मनमानी को लेकर कड़ा प्रहार किया है। उसने कहा है कि ऊर्जा मंत्री जब कभी खंबे पर चढ़कर, कभी नाले में उतरकर सुर्खियां बटोर रहे हैं लेकिन उनकी सरकार की बिजली कम्पनियों पर मेहरबानी से 3762 करोड़ का घाटा हुआ है। इससे साफ है कि उर्जा मंत्री जी और उनकी सरकार जनता की नहीं बिजली उत्पादन कम्पनियों की सरकार है।
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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि हाल की कैग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पिछले छह साल में ज़रूरत से ज्यादा बिजली खरीदने पर 827 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया है। उन्होने ने कहा है ‘मंत्री जी और उनकी सरकार बिजली कम्पनियों पर इतनी मेहरबान है कि उसने न केवल जरूरत से अधिक बिजली ख़रीदी, बल्कि प्रति यूनिट बिजली की दर का भुगतान भी अधिक कर 1397 करोड़ का फायदा पहुंचाया।’ माकपा के कहा है कि कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से 2020-21 के दौरान आईपीपी से क्रय किए बिना 706 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया है। इतना ही नहीं कंपनियों के मुनाफे का समायोजन करने से भी 30 करोड़ का नुकसान हुआ है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि इससे न केवल कंपनियों की तिजोरियां भरी गई बल्कि बिजली की दरों में वृद्धि, जबरिया वसूली, फर्जी बिलों और आंकलित खपत के नाम पर उपभोक्ताओं की लूट भी की गई है। जिससे जाहिर कि यह सरकार प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की नहीं बल्कि बिजली कंपनियों की हितैषी सरकार है। जाहिर है कि इस लूट में से भाजपा को चुनाव में चंदा और मंत्री जी को मोटा कमीशन भलें ही मिल गया हो, मगर प्रदेश की जनता को बेरहमी से लूटा गया है। माकपा ने कहा है कि कैग की रिपोर्ट सामने आने पर मंत्री जी से इस्तीफे की मांग की जानी चाहिए लेकिन ऐसा न होने पर इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि वे उपभोक्ताओं की लूट के लिए जनता से माफी तो मांगें।