MP उपचुनाव : प्रद्युम्न सिंह तोमर का नया अंदाज, मजदूर के पैरों में रखा सिर, देखें वीडियो

Pooja Khodani
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ग्वालियर,अतुल सक्सेना। अपने अलग अंदाज और कार्यशैली के पहचाने जाने वाले ऊर्जा मंत्री (Energy Minister) कभी नाले की सफाई करते हैं तो कभी शौचालय साफ करते हैं, कभी सड़क पर झाड़ू लगाते हैं तो कभी सफाईकर्मियो के पैर छूते है। इस बार भी ऊर्जा मंत्री ने कुछ अलग किया है उन्होंने अपने जनसंपर्क के दौरान मजदूरों का ना सिर्फ माला पहनाकर सम्मान किया बल्कि उनके पैरों में गिरकर ढोक भी लगाया।

प्रदेश की 28 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों में एक सीट ग्वालियर जिले की ग्वालियर विधानसभा (Gwalior Assembly) है जहाँ से प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं हालांकि अभी उनके नाम की अधिकृत घोषणा होना बाकी है। मंत्री तोमर इन दिनों जनसंपर्क अभियान (Public relations campaign) पर हैं। रविवार को उन्होंने एक बार फिर अपने स्वभाव के मुताबिक ऐसा कुछ किया कि वो फिर चर्चा में आ गए।

दरअसल प्रदेश के ऊर्जा मंत्री इन दिनों अपने विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान पर हैं। रविवार को उन्होंने इसके तहत गदाईपुरा, मल्ल गढा, कल्लू काछी की बगिया आदि क्षेत्रों में जनसंपर्क किया। मंत्री तोमर जिस समय कल्लू काछी की बगिया क्षेत्र से गुजर रहे थे तो उन्हें एक निर्माणाधीन मकान में मजदूरों को काम करते देखा तो वे उनके पास गए। मंत्री ने मजदूरों का माला पहनाकर पहले सम्मान किया फिर उनके पैरों में अपना सिर रख कर ढोक लगा दिया। मंत्री की अचानक हुई इस प्रक्रिया से मजदूर हरिमोहन पटेल अचंभित रह गया। उसने ना सिर्फ मंत्री जी का हाथ जोड़कर अभिवादन किया बल्कि उनकी पीठ पर हाथ रखकर आशीर्वाद भी दिया। हरिमोहन ने कहा कि वो आश्चर्यचकित और बहुत खुश है। गौरतलब है कि ये पहला मौका नहीं हैं जब मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इस तरह की सहृदयता दिखाई हो। वे खुद को जनता का सेवक मानते हैं और इसीलिए सड़क पर झाड़ू लगाने, शौचालय साफ करने, नाला साफ करने या किसी के पैर छूने में उन्हें कोई झिझक नहीं होती। बहरहाल ये चुनाव का समय है और मंत्री के इस रूप को चुनाव से जोड़कर देखने वाले तो ये ही कह रहे हैं कि “भैया चुनाव है ये नेता जी से जो ना करवाये थोड़ा है”


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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