MP Election 2023 : चुनाव से पहले कमलनाथ के 11 वचन, बोले- अपनी डूबती नैय्या को बचाने के लिये रोज मुखौटे बदल रही है सरकार

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MP Election 2023/ Kamalnath : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे राजनैतिक पार्टियों द्वारा जनता से वादों की झड़ी लगना शुरू हो गई है । एक तरफ सत्ता बचाने के लिए बीजेपी की शिवराज सरकार नित नई घोषणाएं कर रही है, योजनाओं को गति दी रही है, जिले जिले जाकर सीएम शिवराज खुद करोड़ों के विकासकार्यों की सौगात दे रहे है, वही दूसरी तरफ कांग्रेस भी सत्ता में वापसी का जोर लगा रही है। इसी बीच पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जनता से 11 वादे किए है। इसमें किसानों की कर्जमाफी, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना आदि वचन शामिल है।

कमलनाथ के जनता से 11 वचन, शिवराज सरकार को घेरा

कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि कांग्रेस अपने 11 वचनों के साथ मध्यप्रदेश के हर घर में ख़ुशहाली लाने के संकल्प के साथ आपके बीच है। मध्यप्रदेश की जनता को सुनिश्चित करना है कि वोटों की बोली लगाने वाली सौदागर सरकार के नापाक मंसूबे कामयाब न हों, अब सच्चाई की राजनीति को ही समर्थन और आशीर्वाद मिले।

कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि मैं बार बार दोहरा रहा हूँ कि बीजेपी सरकार इस समय जनता को राहत देने के लिये नहीं बल्कि अपनी डूबती नैय्या बचाने के लिये रोज मुखौटे बदल रही है। 18 साल के शासनकाल के बाद भी जिन्हें चुनावी चाल चलना पड़े, वो दल और उनकी सरकार बनावटी, दिखावटी और सजावटी है जो जनता का कभी हित नहीं कर सकती।

वचन में किसानों की कर्जमाफी, ओपीएस का मुद्दा भी शामिल

खास बात ये है कि कमलनाथ का ट्वीट ऐसे समय आया है, जब आज रविवार 27 अगस्त को सीएम शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहना योजना का भोपाल में बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे है। इससे पहले शनिवार को मेट्रो मॉडल कोच का अवलोकर किया गया था। वही इन 11 वचनों में किसान कर्जमाफी और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना का भी मुद्दा शामिल है।

बता दे कि लंबे समय से प्रदेश के कर्मचारी पेंशनर्स ओपीएस की मांग कर रहे है, लेकिन अबतक इस पर गौर नहीं किया गया है, वही कांग्रेस शासित 3 राज्यों में इसे लागू भी कर दिया है और अब एमपी में लागू करने का वादा कर एक बार फिर कर्मचारियों को साधने की कोशिश की है। इसके अलावा महिलाओं और युवाओं के लिए भी ग्यारंटी दी है।

 


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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