मप्र चुनाव: 15 जिलों में खाता भी नहीं खोल पाई थी कांग्रेस, बीजेपी को गढ़ बचाने की चुनौती

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भोपाल। मध्य प्रदेश में 15 साल से सत्ता में काबिज भाजपा सरकार और सत्ता वापसी का इन्तजार कर रही कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है| दोनों ही दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं और अपनी जीत का दावा कर रहे है| लेकिन दोनों ही दलों के लिए बड़ी चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाना आसान नहीं है| दोनों ही पार्टियों ने अपने मजबूत और जिताऊ चेहरों को मैदान में उतारा है, लेकिन बीजेपी के कब्जे वाली 15 जिलों की सीटों को जीतना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी, वहीं भाजपा के लिए भी इस बार इन सीटों पर कंजा बनाये रखना आसान नहीं है| 

इन 15 जिलों में कुल 59 विधानसभा सीटें हैं। 2013 के चुनाव में इन जिलों की दो सीटों को छोड़कर सभी भाजपा ने जीती थीं। मुरैना की दो सीटों पर बसपा के प्रत्याशी जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का खाता भी इन जिलों में नहीं खुला था, जबकि ये क्षेत्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के प्रभाव वाले माने जाते हैं। रोचक बात यह भी कि 2008 के चुनाव में भी उमरिया, होशंगाबाद, आगर, देवास, खंडवा, बुरहानपुर, दतिया जिले में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को बीजेपी के कब्जे का यह किला ध्वस्त करना जरुरी है| यही कारण है कि इन सीटों में सेंध लगाने के लिए मजबूत और जिताऊ कैंडिडेट और बीजेपी से बागी नेता को मौक़ा दिया है| 


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