भोपाल, डेस्क रिपोर्ट मध्य प्रदेश के किसानों (MP Farmers) के पास केवल 2 दिन का समय रह गया है। दरअसल रबी फसल (rabi crops) के समर्थन मूल्य (MSP) के लिए 5 मार्च 2022 तक रजिस्ट्रेशन (registration) करने की पात्रता रखेंगे। किसानों को सलाह दी जाती है की जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन का कार्य पूरा करें। बता दें कि रबी विपणन वर्ष 2022-23 के लिए फसल का समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिए गए हैं। इसमें गेहूं 2015, चना 5230, मसूर 5567, सरसो 5050, कुसुम 5441, जौ 1635 तय किए गए हैं।
पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जहां गेहूं के मूल्य में ₹40 की वृद्धि की गई है। वही जौ में 35, चना 130, मसूर में 400, सरसों में 400 और कुसुम के फूल में ₹114 की बढ़ोतरी देखने को मिली है। किसानों को सलाह दी जाती है कि 2 दिन के भीतर 5 मार्च तक रबी फसल के समर्थन मूल्य के लिए रजिस्ट्रेशन का कार्य पूरा करें।
इससे पहले मध्य प्रदेश सरकार एक और बड़ी तैयारी में है। जिसमें सरकार द्वारा किसानों के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि गेहूं के विपरीत अन्य फसल विविधीकरण का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं होगा।
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- MP सरकार ने 2020 में 356 लाख मीट्रिक टन के साथ अपना सबसे अधिक गेहूं खरीदा
- किसानों को कुल 25,311 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
- कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में गेहूं का उत्पादन 219 लाख टन से बढ़कर 356 लाख टन हो गया है।
- सरकार ने वर्ष 2021 में धान उत्पादन के लिए 8,468 करोड़ कुल रुपये का भुगतान किया है।
MP के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि हम अपनी रणनीति बदल रहे हैं ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसल न बेचनी पड़े या यहां तक कि मंडी भी न जाना पड़े। हम चाहते हैं कि किसान न्यूनतम खुदरा मूल्य (MRP) पर सीधे कंपनियों को उत्पाद बेचें। कमल पटेल ने बताया कि FPO का गठन किया जाएगा और प्रसंस्करण सुविधा के निर्माण के लिए NABARD से वित्तपोषण के लिए आवेदन करने पर उन्हें 3% की सब्सिडी मिलेगी, साथ ही कुछ बीज सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि FPO सीधे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उत्पाद बेचेंगे।
हरित योजना के एक मसौदे के अनुसार
- गेहूं और धान के अलावा अन्य कार्बन-अनुक्रमण फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा और बीमा के तहत कवर किया जाएगा। नीति दस्तावेज में कहा गया है
- किसानों को मिट्टी परीक्षण के परिणामों के आधार पर उपयुक्त फसलों की खेती के साथ-साथ सब्सिडी वाले बीज और किसानों के एक समूह द्वारा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में सहायता के लिए सभी आवश्यक सहायता मिलेगी।
- MP में कुल 148 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में से 17.63 मिलियन हेक्टेयर पर सरसों और मूंगफली जैसी विभिन्न फसलों का उत्पादन होता है।
- यदि कोई किसान गेहूं और धान की बुवाई जारी रखना चाहता है, तो राज्य सरकार किसानों को इस योजना के तहत बासमती चावल, शरबती गेहूं, चिन्नौर चावल और काला गेहूं सहित अन्य प्रकार की मांग आधारित फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
- सरकार किसानों को अपना माल सीधे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बेचने में भी सहायता करेगी।
किसान कल्याण और कृषि के वरिष्ठ सचिव अजीत केसरी ने कहा कि मध्यप्रदेश का कृषि विभाग कृषि की तकनीक और रवैये में आमूल-चूल बदलाव करने जा रहा है और बजट में इसे प्रतिबिंबित किया जा सकता है। वहीँ खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी कि माने तो MP सरकार के पास लगभग 80 लाख मीट्रिक टन भंडारण की सुविधा है, जबकि शेष निजी गोदामों में रखे गए हैं। यदि किसान विविधीकरण नहीं करते हैं, तो भविष्य में भंडारण एक बड़ा मुद्दा बन जाएगा।