MP News : बिजली कर्मचारियों ने फिर खोला मोर्चा, नियमितिकरण-वेतनवृद्धि और पुरानी पेंशन समेत 10 मांगे, PM को लिखा पत्र, हड़ताल पर जाने की चेतावनी
इसके कारण विद्युत कंपनियों में कार्यरत लगभग 70 हजार अधिकारी और कर्मचारी एवं लगभग 50 हजार पेंशनर्स आक्रोषित है एवं भविष्य में कभी भी सभी अधिकारी और कर्मचारी संगठित होकर कार्यवहिष्कार की घोषणा कर सकते है,जिससे मध्यप्रदेश की विद्युत व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
MP electricity Employees News : संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के बाद अब मप्र की बिजली कंपनियों के कर्मचारियों के राज्य की शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लंबे समय से मांगे पूरी ना होने के चलते अब प्रदेश के 70000 बिजली अधिकारी कर्मचारी हड़ताल पर जाने पर विवश हो गए है।सीएम शिवराज सिंह चौहान को ढ़ाई महीने में 13 पत्र लिखने के बाद मिलने का समय ना देने अब यूनाइटेड फोरम ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है ।इसमें उन्होंने बताया है कि ऊर्जा मंत्री एवं प्रमुख सचिव से 2 साल से चर्चा चल रही है लेकिन अब तक समस्याओं का कोई निराकरण नहीं किया गया है। अब विद्युत अधिकारी कर्मचारी कभी भी एकजुट होकर बड़ा आंदोलन कर सकते हैं ।
2 सालों से मिल रहा आश्वासन
यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर मध्य प्रदेश ने आगे लिखा है कि लगातार पिछले कई वर्षों से विद्युत कंपनियों में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों की विभिन्न लंबित मांगों के संबंध में चर्चा कर उनके निराकरण के लिए निवेदन करता रहा है। इस संबंध में दिनांक 5 जनवरी 2023 को सभी बिन्दुओं पर CS से चर्चा भी की गई थी एवं उनके द्वारा उक्त बिन्दुओं के निराकरण के लिए सीएम से चर्चा कराने का आश्वासन भी दिया गया था एवं विभिन्न बिन्दुओं पर सभी संवर्गों से प्रस्ताव पर चर्चा कर उनपर कार्यवाही के लिए भी आश्वस्त किया गया था। पिछले 2 वर्षों में फोरम द्वारा ऊर्जा मंत्री और CS से विभिन्न बिन्दुओं पर वार्ता भी हुई लेकिन आज दिनांक तक उनके निराकरण लंबित है, इस संबंध मेंCM से भी पिछले वर्षों में कई पत्राचार किये गये लेकिन चर्चा के लिए समय नहीं मिल सका।
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ढ़ाई महीने में 13 पत्र, सीएम ने नहीं दिया समय
फोरम ने आगे लिखा है कि वर्ष 2023 में 01 मार्च 2023 से 15 मई 2023 (ढाई महीने में 13 पत्रों (अंतिम पत्र संलग्न हैं) द्वारा सीएम से चर्चा के लिए लगभग 1 लाख 20 हजार अधिकारी और कर्मचारियों की लंबित मांगों पर चर्चा के लिए समय प्रदान नहीं किया जाना जो कि कर्मचारियों के प्रति असवेदनशीलता प्रदर्शित करता है। इसके कारण विद्युत कंपनियों में कार्यरत लगभग 70 हजार अधिकारी और कर्मचारी एवं लगभग 50 हजार पेंशनर्स आक्रोषित है एवं भविष्य में कभी भी सभी अधिकारी और कर्मचारी संगठित होकर कार्यवहिष्कार की घोषणा कर सकते है,जिससे मध्यप्रदेश की विद्युत व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
कर्मचारियों की 10 सुत्रीय मांगे
- बिजली विभाग का निजीकरण बंद किया जाए, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति बंद की जाए।
- जन संकल्प 2013 के अनुसार बिजली संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए।
- पुरानी पेंशन स्कीम (ops) लागू किया जाए एवं पेंशनरों की पेंशन उत्तर प्रदेश सरकार की तरह शासकीय ट्रेजरी से की जाए।
- सभी वर्गों की वेतन विसंगति दूर की जाए।
- आउटसोर्स के निकाले हुए कर्मचारियों को वापस लिया जाए, नीति बनाकर कर्मचारियों को स्थाई किया जाए एवं अनुभव के आधार पर वेतन वृद्धि की जाए।
- तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए गृह जिला ट्रांसफर नीति बनाई जाए।
- अनुकंपा नियुक्ति की नीति में सुधार किया जाए।
- योग्यता के आधार पर खाली पदों पर पदोन्नति करते हुए नई भर्ती की जाए।
- संगठनात्मक संरचना में संशोधन करते हुए मेडिकल क्लेम पाल्सी लागू की जाए।
- वर्षों से लंबित फ्रिंज बेनिफिट सुविधाएं लागू की जाए।
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— MP Breaking News (@mpbreakingnews) May 16, 2023