भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। संस्कृत भाषा देश की सबसे पुरानी भाषा है और इसे सभी भाषाओं की जननी भी माना जाता है। रविवार को संस्कृत भारती मध्यभारत प्रांत और महृषि पतंजलि संस्कृत संस्थान द्वारा दो दिवस कार्यशाला का अयोजन हुआ। टेगड़ी भवन में “नए राष्ट्रिय शिक्षा नीति (new education policy)” पर रोशनी डालते हुए प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्कूल शिक्षा और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि भारत के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण में संस्कृत भाषा की बहुत बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी। संस्कृत भाषा संस्कारों को जन्म देती है।
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इसी दौरान उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा संस्कृत भाषा को लेकर की गई तैयारियों के बारे में भी राज्य मंत्री ने जानकारी दी। मंत्री परमार के मुताबिक प्रदेश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग तैयारियों में जुटा है और मध्य प्रदेश ओपन बोर्ड के अंदर प्रदेश में 53 सर्व सुविधा (fully facilitate) युक्त स्कूल बनाए जा रहे हैं, इन स्कूलों में हिंदी के साथ-साथ संस्कृत की भी पढ़ाई जाएगी। साथ ही साथ आठवीं कक्षा में आर्टफिशल इंटेलिजेंस का पाठ्यक्रम (course) भी जोड़ा जाएगा। इसी के साथ मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां संस्कृत के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी पढ़ाया जाएगा। राज्यमंत्री श्री परमार का कहना है कि, देश की आत्मा को वापस लाने का काम सिर्फ संस्कृत ही कर सकता है।
कार्यक्रम के दौरान दौरान गुफा मंदिर लालघाटी के अध्यक्ष श्री श्री रामप्रवेश दास जी महाराज, संस्कृत भारती मध्य क्षेत्र भोपाल के क्षेत्र संगठन मंत्री श्री प्रमोद पंडित, प्रांत मंत्री डॉक्टर दिवाकर शर्मा और डॉक्टर अशोक भदौरिया भी शामिल थे।