जबलपुर, संदीप कुमार। शिवराज सरकार (shivraj government) की लाख कोशिशों के बावजूद कुपोषित बच्चों की संख्या आखिर क्यों बढ़ रही हैं। वहीँ उनकी मौत कैसे हो रही है। इन सवालों को लेकर हाईकोर्ट (highcourt) ने नाराजगी दिखाई है। साथ ही राज्य सरकार से यह सवाल पूछे हैं। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP Highcourt) के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक (Chief Justice Mohammad Rafiq) व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला (Justice Vijay Kumar Shukla) की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि कुपोषित बच्चों के लिए वह क्या कर रहे हैं।
साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग सचिव के अलावा जबलपुर कलेक्टर, उमरिया कलेक्टर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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उमरिया जिले की रंमती बैगा महिला की तरफ से दायर की याचिका को लेकर अधिवक्ता शन्नो शुगुफ्ता खान ने हाईकोर्ट को बताया कि उमरिया जिले के ग्राम कोहका में 34 वर्षीय मजदूर महिला ने कुपोषण की वजह से मां अपने बच्चों को खो दिया है। उमरिया के कोहका गांव में रहने वाली महिला का 9 माह का बच्चा कुपोषित था।
जिसे वह उमरिया जिला अस्पताल के पुनर्वास केंद्र ले गई थी। वहां 3 दिन तक बच्चे को रखा गया इस बीच उसने अपनी आंखों से देखा कि कुपोषण दूर करने को लेकर ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। पोषण प्रदान करने वाला भोजन भी बच्चों को नहीं दिया जा रहा है। इसके बाद उमरिया की बैगा महिला ने अपने बच्चे को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज जबलपुर में भर्ती करवाया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पीड़ित मां को मिलना चाहिए 20 लाख रु का हर्जाना
अधिवक्ता शन्नो शगुफ्ता खान ने हाई कोर्ट में तर्क दिया है कि एक बैगा मां जिसने अपने बच्चे को कुपोषण की वजह से खो दिया। वह व्यापक जनहित में हाईकोर्ट की शरण में आई है निवेदन है कि मध्य प्रदेश में गरीब तबके के बच्चों में कुपोषण की समस्या को सरकार को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए जाएं। साथ ही याचिकाकर्ता को 20 लाख रुपए का हर्जाना दिया जाना चाहिए।