इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश में अब महिला हो या पुरुष, दोपहिया वाहन पर बैठने वाले हर व्यक्ति को हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा। इस संबंध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में 2011 से लंबित दो जनहित याचिकाओं का बुधवार को निराकरण हो गया। इस संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान प्रदेश शासन ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश मोटरयान अधिनियम की उस धारा को ही विलोपित कर दिया गया है जिसके तहत हेलमेट पहनने से छूट दी जा रही थी। कोर्ट ने यह कहते हुए कि जब धारा ही विलोपित हो गई तो याचिकाओं का कोई मतलब नहीं, याचिकाएं निराकृत कर दी।
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गौरतलब है कि 2011 में यातायात विभाग ने बगैर हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चालकों के खिलाफ मुहिम शुरू की थी। बड़ी संख्या में बगैर हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चलाने वाली महिलाओं के चालान भी बनाए गए थे। आरोप लगा कि यातायात पुलिस महिलाओं को परेशान कर रही है और चालानी कार्रवाई के नाम पर अवैध वसूली हो रही है। यातायात विभाग द्वारा की जा रही चालानी कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर हुईं। इनमें कहा था कि शहर में हेलमेट की कमी है और मौके का फायदा उठाते हुए मनमाने दाम पर हेलमेट बेचे जा रहे हैं। मोटरयान अधिनियम के तहत भी छूट देने का प्रविधान है। कोर्ट ने दो जून 2011 को अंतरिम राहत देते हुए महिलाओं के लिए हेलमेट की अनिवार्यता से छूट दे दी थी। इसके बाद से याचिकाएं लंबित थीं। बुधवार को इन दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई।
शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने कोर्ट को बताया कि मप्र मोटरयान अधिनियम की जिस धारा के तहत महिलाओं को हेलमेट पहनने से छूट देने का प्रविधान था, लेकिन 3 मार्च 2021 को अधिसूचना जारी कर इस धारा को ही विलोपित कर दिया गया है। अदालत ने कहा कि जब ये अस्तित्व में नहीं है ऐसी स्थिति में याचिकाओं का कोई मतलब नहीं, जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाएं निराकृत कर दी।