इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में एक बार फिर से पुलिस महकमे (police department) में हड़कंप का माहौल है। दरअसल एडीजी (ADG) द्वारा पुलिस कर्मियों की गोपनीय वार्षिक चरित्रावली (Confidential annual profile) पर टिप्पणी की गई है। जिसके बाद पुलिसकर्मियों के डीएसपी (DSP) बनने का सपना अटक सकता है। बता दे कि मध्य प्रदेश के इंदौर में एडीजी वरुण कपूर (ADG Varun Kapoor) ने पुलिस महकमे में तहलका मचा रखा है।
एडीजी द्वारा पुलिसकर्मियों की एसीआर से मामला गरमा गया है। दरअसल इंदौर की टीआई और एसआई के आचरण को असंतोषजनक पाया गया है। इंदौर के के पुलिस अधिकारी की कार्यशैली भी घटिया स्तर की रिकॉर्ड की गई है। जिसे पुलिस डिपार्टमेंट में हड़कंप का माहौल है। वहीं दूसरी तरफ इस गोपनीय वार्षिक चरित्रावली से ना केवल उनके प्रमोशन (promotion) बाधित हो सकते हैं बल्कि उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति (Compulsory retirement) भी दी जा सकती है।
जिन पुलिसकर्मियों की कार्यशैली को असंतोषजनक पाया गया है। उसमें टीआई-एसआई विनोद दीक्षित, तहजीब काजी, संजय शर्मा, राजेंद्र चतुर्वेदी शामिल है। विनोद दीक्षित को जहां सामान्य आँका गया है। वहीं राजेंद्र चतुर्वेदी को घटिया बताया गया जबकि तहजीब काजी और संजय शर्मा सहित दो एसआई (SI) को प्रतिकूल करार देते हुए उनके आचरण पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
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हालांकि इस मामले में अब टीआई (TI) द्वारा पुलिस मुख्यालय को अभ्यावेदन देना होगा। साथ ही एक अन्य विवाद से मामला गरमा गया है। जब नाराज अफसरों ने एडीजी के द्वारा लिखी गई एसीआर पर सवाल उठाए हैं। वही उनका कहना है कि कपूर के तबादले के बाद कई अफसर को पदस्थ किया गया है।
जिसके बाद इस बारे में लिखने का दायित्व एडीजी कपूर को नहीं बल्कि तत्कालीन एडीजी मिलिंद कांसकर को होना चाहिए। गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश में भी पुलिसकर्मियों को पदोन्नति देने का माहौल है। ऐसी स्थिति में एडीजी द्वारा पुलिस कर्मियों को दिए गए टिप्पणी उनकी पदोन्नति में रोड़ा बन सकती है।