MP SChool : प्रदेश सरकार द्वारा बड़ी तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही स्कूल के कुछ प्रावधानों में परिवर्तन किया जा सकता है। जिसके लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नई शिक्षा नीति के तहत भारत सरकार द्वारा प्री प्राइमरी स्कूलों की अवधारणा पर प्रदेश सरकार काम कर रही है।
ऐसे में अब मध्यप्रदेश में राज्य सरकार द्वारा 6 साल से अधिक बच्चों को ही पहले कक्षा में प्रवेश देने की तैयारी की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग बारिश के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। अभी 5 साल की उम्र में पहली कक्षा में प्रवेश देने का प्रावधान है। हालांकि 17 साल की उम्र में बच्चे हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं। लेकिन अब नए नियम के तहत प्रवेश की उम्र में परिवर्तन के साथ बच्चों को 1 वर्ष अधिक पढ़ाई करनी होगी।
3 कक्षाएं होंगी संचालित
नई शिक्षा नीति के तहत ही बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत सरकार बच्चों को नैतिक शिक्षा की पढ़ाई करवाएगी। अरुण, उदय और प्रभात नाम से तीन अलग-अलग कक्षाएं संचालित की जाएगी। फ्री नर्सरी की 3 साल की कक्षाओं को पढ़ने के बाद ही छात्रों को पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
पहली कक्षा में प्रवेश के वक्त बच्चे की उम्र 6 वर्ष मानी जाएगी
अरुण ,उदय और प्रभात कक्षाओं के लिए बच्चों को 3 साल की उम्र में प्रवेश दिया जाएगा और तीनों कक्षाओं की पढ़ाई पूरी करते-करते बच्चों की उम्र 6 वर्ष हो जाएगी। ऐसे में पहली कक्षा में प्रवेश के वक्त उनकी उम्र 6 वर्ष मानी जाएगी। इसीलिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा वर्तमान व्यवस्था में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है।
बता दें कि प्रदेश के निजी प्री प्राइमरी स्कूलों में रजिस्ट्रेशन और देखरेख का जिम्मा महिला और बाल विकास विभाग को सौंपा गया है जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह कक्षाएं भले ही सरकारी स्कूलों में संचालित हो पर प्री प्राइमरी स्कूल चलाने का प्रावधान उनके पास नहीं है। पहले जिन्हें जिम्मेदारी दी गई है। वहीं जिम्मेदारी का वाहन करेंगे।
जो कि सरकारी स्कूल में प्रदेश में पहले से आठवीं तक की कक्षाओं की पढ़ाई और परीक्षा की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा निर्धारित की जाती है। 9वीं और 12वीं तक की पढ़ाई का जिम्मा लोक शिक्षण संचालनालय और परीक्षा की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा मंडल को सौंपी गई है। ऐसे में प्री प्राइमरी कक्षाओं की जिम्मेदारी को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे। माना जा रहा है पूर्व के नियम के तहत ही महिला और बाल विकास विभाग को प्री प्राइमरी स्कूलों के रजिस्ट्रेशन और देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।