भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में शासकीय स्कूल (government school) सहित आश्रम शाला में नल से जल अभियान (Tap water campaign) में प्रदेश की स्थिति काफी पिछड़ी हुई है। इसके बाद एक बार फिर से राज्य शिक्षा केंद्र (State education center) ने सभी जिले के कलेक्टरों को हिदायत दिए गए हैं। वहीं इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (inder singh parmar) का भी बड़ा बयान सामने आया हैं।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासकीय स्कूल आंगनबाड़ियों सहित आंगनबाड़ियों में नल से जल अभियान की शुरुआत की गई थी जिसमें मध्य प्रदेश काफी पिछड़ा हुआ है। इस मामले में केंद्रीय जल मंत्रालय के गाइडलाइन के बावजूद मध्य प्रदेश में 50% स्कूलों और आंगनबाड़ी में अभी तक पाइपलाइन नहीं बिछाई गई है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट (PM Dream project) होने के बावजूद प्रदेश के सिर्फ 15000 और 9000 आंगनबाड़ियों में ही पाइप लाइन का काम पूरा हुआ है। जिसके बाद एक बार फिर से राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला कलेक्टरों को हिदायत दी है।
मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि प्रदेश के सभी शासकीय स्कूल और आंगनबाड़ियों में पीने के लिए साफ पानी की उपलब्धता के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम तेजी से चल रहा है। जल्द जल जीवन मिशन को पूरा कर लिया जाएगा। वही इंदर सिंह परमार ने बताया कि कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से काम में देरी हुई है।
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इधर काम में देरी को देखते हुए एक बार फिर से केंद्रीय जल मंत्रालय की चिट्ठी के बाद सभी जिला कलेक्टरों को मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं। बता दे कि प्रदेश के 93,000 शासकीय स्कूल में से सिर्फ 15,000 में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा किया गया। वहीं 66,000 आंगनबाड़ियों में से केवल 9,000 आंगनबाड़ियों में पाइप लाइन बिछाई गई है।
बता दें कि नल से जल मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2020 में शुरू की गई थी। जिसमें 100 दिन के कैंपेन में सभी शासकीय स्कूल आंगनबाड़ी और आश्रम शाला में पीने के पानी की उपलब्धता करनी थी। इसके लिए पाइपलाइन बिछाया जाना था। इस मिशन के तहत शासकीय स्कूल और आंगनबाड़ियों में, जहां बिजली कनेक्शन उपलब्ध नहीं है। उस जगह पानी की पाइप लाइन के लिए सोलर सिस्टम भी लगाए जाने है। इसके अलावा शासकीय स्कूलों और आंगनबाड़ी में शुद्ध पीने के पानी के लिए वाटर कूलर लगाए जाएंगे। वही टीचर्स और दिव्यांग बालकों के लिए पानी की अलग व्यवस्था होगी।