MPPEB: इंदौर के बाद ग्वालियर में फूटा कृषि छात्रों का गुस्सा, नाले में अस्थियां विसर्जित

Pooja Khodani
Updated on -
mppeb

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कृषि विस्तार अधिकारी  (Agricultural extension officer) के लिए पिछले दिनों हुई परीक्षा में टॉपर्स के एक जैसे नंबर आने के बाद से छात्रों का गुस्सा प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (MPPEB) के खिलाफ भड़क रहा है। इंदौर में प्रदर्शन के बाद ग्वालियर(Gwalior) में छात्रों (Student) ने गुरुवार को MPPEB की अर्थी निकाली थी और आज शुक्रवार को अस्थियों को गंदे नाले में विसर्जित किया।

MPPEB Scam: इस परीक्षा को लेकर बढ़ा विवाद, सीएम शिवराज ने दिए जांच के आदेश

MPPEB अधिकारियों की धांधली के खिलाफ आंदोलन कर रहे कृषि छात्रों ने आरोप लगाए कि किसी भी परीक्षा (Exam) में सभी 10 टॉपर्स के एक से नंबर नहीं आ सकते लेकिन MPPEB ने ये कारनामा कर दिखाया है। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे Msc अंतिम वर्ष के छात्र सुनील कुमार उपाध्याय ने आरोप लगाया कि 10 और 11 फरवरी को हुई कृषि विस्तार अधिकारी की परीक्षा (Agricultural Extension Officer Examination) का पेपर अधिकारियों ने यहाँ लीक करवाया है इसीलिए उन छात्रों ने टॉप किया जिन्हें हिंदी लिखना नहीं आती।

उन्होंने कहा कि मप्र सरकार (MP Government) ने व्यापम (Vyapam) का नाम बदलकर MPPEB कर दिया लेकिन इनके काले कारनामे अभी भी जारी हैं। ये घोटाला व्यापम पार्ट 2 (Vyapam Scam Part 2) है। छात्रों ने कृषि महाविद्यालय ग्वालियर (Agricultural College Gwalior) के बाहर से एक रैली निकाली जिसमें आगे आगे एक मुंडन कराये हुआ छात्र PEB की अस्थियां मटकी में लेकर चल रहा था । छात्रों ने नारेबाजी करते हुए अस्थियों को गंदे नाले में विसर्जित कर दिया। गौरतलब है कि गुरुवार को इन छात्रों ने MPPEB की अर्थी जलाई थी और आज शुक्रवार को अस्थि विसर्जन किया।

MP School : छात्रों के लिए खुशखबरी, 31 मार्च तक कर सकते है आवेदन

आक्रोशित छात्रों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Chief Minister Shivraj Singh Chauhan)  से अपील करते हुए कहा कि मामा आज आपका जन्म दिन है हमारी दुआ है कि आप 200 साल जियो लेकिन आप अपने भांजों के भविष्य का भी खयाल करो। उन्होंने कहा कि यदि इसकी जांच नहीं हुई और दोषियों को सजा नहीं मिली तो आंदोलन (Movement) और उग्र किया जायेगा।

mppeb mppeb


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News