Narmada Jayanti 2023 : नर्मदा जयंती पर जानिये पौराणिक कथा, प्रेम में धोखा मिला तो चल पड़ी उल्टी दिशा में

Narmada Jayanti 2023 : आज नर्मदा जयंती है। नर्मदा नहीं को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है। प्रदेशभर में आज विभिन्न स्थानों पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। खासकर नर्मदा घाट पर विशेष धूमधाम है। आज के दिन मां नर्मदा जी की विशेष आरती और पूजन किया जाता है। नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक से हुआ है और इसका एक नाम रेवा भी है। नदी पश्चिम की ओर सोनमुद से बहती हुई, एक चट्टान से नीचे गिरती हुई कपिलधारा नाम का जलप्रपात बनाती है। ये भारती की 5वीं सबसे लंबी और पश्चिम-दिशा में बहने वाली सबसे लंबी नदी है।

पौराणिक कथा

ये मध्यप्रदेश और गुजरात की मुख्य नदी है। भारत में पूर्व से पश्चिम बहने वाली दो प्रमुख नदियों में नर्मदा और ताप्ती नदी शामिल है। नर्मदा नदी के उल्टा बहने का भौगोलिक कारण इसका रिफ्ट वैली में होना है। इसकी ढाल विपरीत दिशा में होती है और ये अरब सागर में जाकर मिलती है। हालांकि इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार प्रेम में छले जाने पर नर्मदा नदी ने अपनी दिशा बदल ली। कहानी के अनुसार नर्मदा और सोनभद्र में प्रेम था। ये बचपन से अमरकंटक की वादियों में साथ बड़े हुए और इनका प्रेम भी बढ़ता गया। लेकिन एक दिन नर्मदा की सहेली जुहिला आ गई और सोनभद्र उसके प्रति आकर्षित होकर उसके मोह में पड़ गए। नर्मदा को ये बात पता चली तो उन्होने सोनभद्र को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वो असफल रहीं। इससे नाराज़ होकर वो विपरित दिशा में चल पड़ी और उन्होने हमेशा कुंवारी रहने की कसम भी खाई। पौराणिक कथा अनुसार इसीलिए नर्मदा नदी उल्टी दिशा में बहती है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।