भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। 8 नवंबर की रात भोपाल के कमला नेहरू बाल अस्पताल में शॉट सर्किट होने से पेडियाट्रिक्स वार्ड में आग लग गई थी, जिसमें सात मासूम जिंदगी खत्म हो गई और कई आग में झुलसने से घायल हो गए। शॉर्ट सर्किट का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है परंतु अस्पताल प्रशासन की लापरवाही इसमें साफ तौर पर देखी जा सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मुआवजा देने की घोषणा के साथ साथ हादसे की जांच के आदेश भी दिए गए। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी हादसे पर दुख जताते हुए शिवराज सिंह से बात कर लापरवाही करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने की बात कही।
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आग लगने की वजह स्पष्ट न होने के कारण आज राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूंगों ने एक पत्र लिखकर मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस से मामले की जल्द से जल्द जांच करने के लिए जांच समिति गठित कर तीन दिन के अंदर समिति के मेंबर्स के नाम भेजने की बात कही है।
मामले का suo moto संज्ञान लेते हुआ आयोग ने पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव से कहा कि वे मामले की जल्द से जल्द जांच कराएं। जांच के लिए सीनियर प्रशासनिक अधिकारियों की टीम गठित करें जिसमें कोई भी अधिकारी हेल्थ डिपार्टमेंट या मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट से नहीं होना चाहिए। यह अधिकारी स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में रखी मशीनों और उपकरणों में कमी की जांच करेंगे।
इसके अलावा महानिदेशक, अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड विभाग (अग्निशमन सेवाओं से) द्वारा अस्पताल में उपलब्ध अग्नि निवारण तंत्र, फायर एक्जिट, आग लगने के पहले ही पता लगाने के प्रावधान,फायर अलार्म और अग्निशामक आदि में खामियों की जांच की जाए।
लोक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारी द्वारा अस्पताल के लेआउट और इंफ्रास्ट्रक्चर में खामियों की जांच कराई जाए, साथ ही एक पुलिस अधिकारी जिसकी रैंक IG से कम ना हो उसे जांच समिति में शामिल किया जाए। इसके अलावा हॉस्पिटल की हाल ही में की गई फायर सेफ्टी ऑडिट की डिटेल और फायर एनओसी की डिटेल आयोग के साथ साझा की जाएं।
आयोग ने पत्र में मुख्य सचिव को बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स द्वारा उन्हें ज्ञात हुआ है कि कमला नेहरू अस्पताल के SNCU में घायल हुए बच्चों को हादसे के बाद दूसरे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। हादसे में घायल हुए बच्चों की डिटेल्स और उन्हें किन अस्पतालों में भर्ती कराया गया है यह डिटेल्स आयोग के साथ साझा की जाएं। जो बच्चे भर्ती कराए गए हैं उन्हें उचित उपचार दिया जाए साथ ही जिन परिवारों के बच्चे हादसे में मृत हुए हैं उन्हें पर्याप्त कंपनसेशन दिया जाए।
टीम में गठित किए गए अफसरों की जानकारी और हादसे पर लिए गए एक्शन की रिपोर्ट आयोग को तीन दिन के अंदर आयोग के मेल आईडी पर मुहैया कराई जाए। पत्र प्राप्ति से 10 दिन के अंदर जांच कमेटी द्वारा लिए गए एक्शन की रिपोर्ट और भविष्य में ऐसे हादसों को लेकर तैयारी और कमियों को कैसे पूरा करेंगे यह डिटेल्स भी आयोग के साथ साझा की जाएं। अब देखना यह होगा कि आयोग के इस पत्र का मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा क्या जवाब दिया जाएगा और मध्य प्रदेश सरकार भविष्य में इस प्रकार के हादसे रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।