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Fri, Dec 19, 2025

राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस: सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी शुभकामनाएं, जानिए इस दिन का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य

Written by:Shruty Kushwaha
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तिरंगा भारत की आज़ादी, आत्मसम्मान और अखंडता का प्रतीक है। तिरंगे का डिज़ाइन एक निश्चित अनुपात में होता है। इसका लंबाई-चौड़ाई अनुपात 3:2 है। भारत में राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम मुख्य रूप से कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ हुबली द्वारा किया जाता है। खासकर सरकारी उपयोग के लिए तिरंगे का निर्माण यहीं होता है।
राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस: सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी शुभकामनाएं, जानिए इस दिन का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य

आज राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस है। हर साल 22 जुलाई को ये दिन यह दिन हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपनाने की ऐतिहासिक घटना की स्मृति में मनाया जाता है। तिरंगा न सिर्फ भारत की संप्रभुता और स्वतंत्रता का प्रतीक है..बल्कि यह देश की एकता, अखंडता और विविधता में एकता का भी प्रतीक है।

आज के दिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है ‘राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। तिरंगे की आन-बान-शान को विश्व पटल पर सतत बढ़ाने की प्रेरणा देने वाले इस पावन अवसर पर आइए, संकल्प लें कि कर्तव्य निर्वहन से देश की सेवा कर तिरंगे का मान बढ़ाते रहेंगे।’

राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस

राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस भारत के राष्ट्रीय ध्वज को औपचारिक रूप से अपनाने की स्मृति में मनाया जाता है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया था। यह वो दिन था जब भारत ने स्वतंत्रता मिलने से ठीक पहले अपने राष्ट्रीय पहचान के इस महत्वपूर्ण प्रतीक को अपनाया। आज का दिन हमें देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है।

तिरंगा: जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े कुछ अहम तथ्य

आज हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को जिस रूप में देखते हैं उसका डिजाइन आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकय्या ने बनाया था। वे एक स्वतंत्रता सेनानी और किसान थे। 1916 में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक डिज़ाइन प्रस्तावित किया..जिसे बाद में संशोधित कर में तिरंगे का आधार बनाया गया। तिरंगे के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है। शुरू में तिरंगे को सिर्फ खादी कपड़े से बनाने की अनुमति थी जो स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा था। अब इसे कुछ अन्य कपड़ों से भी बनाया जाता है, लेकिन खादी को प्राथमिकता दी जाती है। राष्ट्रीय ध्वज को हमेशा सम्मान के साथ फहराया जाता है। इसे सुबह आठ बजे से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता है। हालांकि विशेष परिस्थितियों में रात में भी तिरंगा फहरा सकते हैं लेकिन उसकी कुछ शर्तें हैं। तिरंगा हमारे देश का सम्मान है और आज का दिन हमें हमारे राष्ट्र ध्वज के इतिहास की गलियों में ले जाता है जहां जाकर हम इसकी उत्पत्ति और महत्व को और बेहतर तरीके से जान सकते हैं।