अतुल सक्सेना/ग्वालियर। मानसिक तनाव शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन है ये सभी जानते हैं, बावजूद इसके इससे बचने की जगह इसमें घिरते जा रहे हैं। NHM की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश के लोग तनाव में हैं। इनमें से 13.5 प्रतिशत शहरी और 6.9 प्रतिशत ग्रामीण आबादी है। यानि गाँव की जगह शहर में लोग अधिक तनावग्रस्त रहते हैं। खास बात ये है कि ये हालात तब हैं जब प्रदेश सरकार ने लोगों का तनाव दूर करने के लिए एक विभाग बना रखा है।
जानकारी के अनुसार NHM यानि नेशनल हेल्थ मिशन ने पिछले दिनों एक सर्वे किया इसमें मध्यप्रदेश के सभी जिले शामिल थे इन जिलों में 13000 से अधिक लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया इनमें से 5500 लोग मानसिक तनाव से ग्रसित मिले। जिसमें 11 साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। यानि एक बड़ी आबादी बीमार है। जब आंकलन किया गया तो 13.5 प्रतिशत आबादी शहरी और 6.9 प्रतिशत आबादी ग्रामीण निकली। यानि गाँव की जगह शहर के लोग अधिक मानसिक तनाव से ग्रसित हैं इसका दूसरा मतलब ये भी है कि ग्रामीण जीवन शैली आज भी काफी हद तक तनाव मुक्त है।
सर्वे में बच्चों के तनावग्रस्त होने की बताई ये वजह
सर्वे में 11 साल के बच्चे भी तनावग्रस्त मिले। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके लिए परिवार जिम्मेदार है। मुख्य वजह ये निकल कर आईं कि बच्चे माता पिता के अनुरूप पढ़ाई में नंबर या रैंक नहीं ला पा रहे। इसे अलावा दूसरों के बच्चों से तुलना करना भी एक बड़ा कारण निकलकर सामने आया।
सरकार ने बना रखा है विभाग लेकिन परिणाम प्रभावी नहीं
प्रदेश के लोगों का तनाव कम करने के लिए शिवराज सरकार ने अगस्त 2016 में आनंद विभाग बनाया था। शुरुआत में प्रदेश के सभी जिलों में इसके तहत कार्यक्रम हुए लेकिन धीरे धीरे गतिविधियां कम होती हैं। पिछले साल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो आनंदम् विभाग के नाम बदलकर आध्यात्म विभाग कर दिया गया। ये विभाग शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यक्रम आयोजित कर तनाव दूर करने के प्रयास करता है। लेकिन जो सर्वे रिपोर्ट आई है उससे साफ पता चलता है कि विभाग के कार्यक्रम अपना प्रभाव नहीं दिखा पा रहे और लोगों का तनाव कम नहीं हो रहा।