भोपाल। महाकौशल में की चार लोकसभा सीटों पर इस बार किसी किसी एक दल की हवा बनती नहीं दिख रही है। यहां चार सीटों पर इस बार अलग अलग दल का पलड़ा भारी है। छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला और जबलपुर सीट इस क्षेत्र में आती हैं। छिंदवाड़ा में कांग्रेस तो जबलपुर में बीजेपी भारी है। इन दोनों ही सीटों पर दो प्रदेश अध्यक्षों की साख भी दांव पर है। जबलपुर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और छिंदवाड़ा से मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ मैदान में है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में इस बार मोदी लहर का प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है। 2014 के चुनाव में कई उम्मीदवार मोदी लहर के कारण जीत गए थे। लेकिन बीते पांच साल में वह जीत के बाद अपने काम के दम पर जगह नहीं बना पाए। यही कारण रहा कि बीजेपी को अपना आधे से अधिक वर्तमान सांसदों का टिकट काटना पड़ा। इस बार महाकौशल में कांग्रेस ने काफी अच्छी सीटों विधानसभा चुनाव में मिली हैं। जबलुर से तो दो कैबिनेट मंत्री हैं। यहां आठ में से चार विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। कांग्रेस ने यहां से विवेक तन्खां को मैदान में उतारा है। लेकिन अभी भी यहां बीजेपी उम्मीदवार राकेश सिंह का ही पलड़ा भारी है। तन्खा का जनाधर ग्राउंड पर कम है। वहीं, बालाघाट में बीजेपी के बागी भगत सिंह ने गणित बिगाड़ दिया है। यहां से कांग्रेस, बीजेपी, सपा और निर्दलीय के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला बन गया है। वहीं, मंडला सीट पर भी कोई खास प्रभाव नहीं है बीजेपी का। यहां केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की हालत पतली दिखाई दे रही है। उनका स्टिंग सामने आने के बाद से पार्टी समेत उनकी छवि काफी खराब हुई है। इस क्षेत्र में विधानसभा की 31 सीटें हैं और हाल के चुनावों में, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया था। ज्यादातर सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की थी।
छिंदवाड़ा
नकुल नाथ यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं, जिसे कांग्रेस ने जीता। भाजपा ने एक आदिवासी नाथन शाह को टिकट दिया है। यह सीट 1957 से कांग्रेस का गढ़ रही है। 1997 में हुए उपचुनाव में भाजपा से हारने वाली एकमात्र पार्टी थी जब भाजपा के उम्मीदवार और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा जीते थे। कमलनाथ 1980 से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी पत्नी अलका नाथ ने 1996 में सीट जीती थी।
मंडला
मंडला एक एसटी-आरक्षित सीट है जहाँ से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने 1996 से 2014 तक छह बार चुनाव लड़ा था। वह 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार बसोरी सिंह मरकाम से हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने नए चेहरे कमल मरावी को टिकट दिया है। 2018 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं और भाजपा को दो सीटों से संतोष करना पड़ा।
जबलपुर
यह 1996 से भाजपा का गढ़ है। यहां से चुनाव लड़ रहे सांसद राकेश सिंह ने तीन बार सीट का प्रतिनिधित्व किया है। कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को टिकट दिया है। 2014 में, सिंह ने तन्खा को भारी अंतर से हराया। पिछले विधानसभा चुनावों में, भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक चार सीटें जीतीं।
मंडला
इसमें भाजपा प्रत्याशी ढाल सिंह बिसेन, कांग्रेस प्रत्याशी मधु भगत, सपा-बसपा प्रत्याशी और पूर्व सांसद कंकर मुंजारे और भाजपा सांसद बोध सिंह भगत के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला है। भाजपा के बागी उम्मीदवार भाजपा की संभावनाओं को बिगाड़ सकते हैं। हाल के विधानसभा चुनावों में, आठ सीटों में से चार कांग्रेस ने जीती थीं। तीन बीजेपी ने जीते थे और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीता था।