भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के सरकार सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों (School) के बारे में कोई भी निर्णय अब 31 मार्च को लिया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोरोना (Corona) को लेकर समीक्षा बैठक के दौरान इस बाबत ऐलान किये जाने की संभावना है। दरअसल कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार (Government) बेहद गंभीरता के साथ इस बारे में निर्णय लेगी।
स्कूल शिक्षा विभाग में लगभग एक माह पहले यह निर्णय लिया था कि कक्षा 1 से लेकर 8 तक के अब तक ऑनलाइन चल रही क्लासेस को ऑफलाइन कर दिया जाए यानी स्कूलों को खोल दिया जाए। उस समय कोरोना का असर काफी कम हो चुका था। साथ ही कक्षा 9 से कक्षा 12 तक की क्लासेस न केवल शुरू कर दी गई थी बल्कि उनकी बची हुई पढ़ाई को कवर कराने के लिए समय अवधि भी सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक कर दी गई थी। लेकिन पिछले 15 दिनों में जिस तरह से कोरोना तेजी के साथ बढ़ा, उसे देखते हुए एक बार फिर स्कूलों में 31 मार्च तक अवकाश घोषित कर दिया गया। इसके साथ साथ सभी कालेजों को भी 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही स्कूल में और कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी निर्देश दिए गए थे कि वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए।
मुख्यमंत्री पिछली कई बैठकों में स्कूल कॉलेजों को लेकर चर्चा बाद में करने की बात कर चुके हैं। अब इस बात की पूरी संभावना है कि 31 मार्च को सरकार एक बार फिर स्कूल कॉलेजों के बारे में कोई बड़ा निर्णय ले सकती है। दरअसल पिछले दिनों जिस तेजी के साथ में कोरोना फैला है उसे देखते हुए यह संभव नहीं कि स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई लगातार कराई जा सके। सरकार बच्चों के साथ किसी भी तरह का जोखिम लेना नहीं चाहती और इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि 1 अप्रैल से स्कूलों को खोले जाने का निर्णय रद्द कर दिया जाए और एक बार फिर ऑनलाइन पढ़ाई ही जारी रखी जाए। इन सब के बीच एक दुविधा की बात यह भी है कि कक्षा 10 और कक्षा 12 की सीबीएसई और मध्य प्रदेश बोर्ड दोनों की परीक्षाएं अप्रैल मई माह में शुरू होनी है और इन परीक्षाओं को कोरोना के चलते कैसे कराया जाएगा, यह भी स्कूली शिक्षा विभाग और सरकार दोनों के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। सरकारी कार्यक्रमों में भीड़ का नतीजा स्कूल शिक्षा विभाग भी भुगत चुका है। स्कूली शिक्षा विभाग के अनुगंज कार्यक्रम में 20 के करीब शिक्षक अब तक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जिसमें भोपाल के विभिन्न स्कूलों के शिक्षक शामिल है। ऐसे में अब सरकार कोई जोखिम लेना नहीं चाहती। जाहिर सी बात है कि 2020 और 2001 के दोनों ही स्कूली वर्ष कोरोना की चपेट में आकर बर्बाद हो गए हैं।