IPS सैयद मोहम्मद अफजल के निधन पर महिला अधिकारी की भावुक पोस्ट

Pooja Khodani
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सैयद मोहम्मद अफजल
भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश कैडर के 1990 बैच (1990 batch) के आईपीएस सैयद मोहम्मद अफजल (IPS Syed Mohammad Afzal) का मंगलवार देर रात निधन हो गया है। उनके निधन से पूरे प्रदेश और खास करके पुलिस महकमे में शोक की लहर है। हर कोई अपने अंदाज में मोहम्मद अफजल को याद कर रहा है। इसी कड़ी में EOW एसपी पल्लवी त्रिवेदी (Pallavi Trivedi) ने फेसबुक वॉल पर एक भावुक पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने मोहम्मद अफजल के विराट व्यक्तित्व के संस्मरण को शेयर कर अलविदा किया है।
महिला अधिकारी ने शेयर किये अफजल साहब के विराट व्यक्तित्व के संस्मरण-
पल्लवी त्रिवेदी ने अपने फेसबुक वॉल (Facebook Wall) पर लिखा है कि कल का दिन साल की सबसे मनहूस खबर लेकर आया। अफ़ज़ल सर की सेहत दिन पर दिन खराब हो रही थी और कल शाम यह पता चलते ही कि सर शायद ज़्यादा दिन हमारे बीच नहीं रहेंगे, मन एकदम व्याकुल हो उठा।कल शाम को उन्हें एक मैसेज किया -‘कहीं मत जाइए सर ,लौट आइए हमारे बीच ‘ लेकिन सन्देश उन तक नहीं पहुंच सका और वे निकल गए अनन्त यात्रा पर।मन उनके सानिध्य की स्मृतियों से भीगा हुआ है। एक इंसान ,एक अधिकारी को कैसा होना चाहिए ,यह सर के साथ रहकर हम सीखते जाते थे । उन्हें मुंह से बोलकर कुछ सिखाने की ज़रूरत नहीं थी , उनका व्यवहार ही इंसानियत का पता बताता था।

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पल्लवी लिखती है कि सर 2003 में ग्वालियर में मेरे पहले एस.पी. थे ।मेरी नौकरी की शुरुआत थी । इंडिया ऑस्ट्रेलिया का मैच था और एडिशनल एस पी सभी अधिकारियों को स्टेडियम के पास दे रहे थे। मुझे कोई पास नहीं मिला और कहने पर रूखा सा जवाब मिला कि खत्म हो गए।उस वक्त कंट्रोल रूम में मीटिंग चल रही थी। मैं गुस्से और क्षोभ से रुआँसी हो उठी। सर ने मेरा चेहरा पढ़ लिया और बोले -‘जाओ, घर जाओ ‘मैं उठी और घर आ गयी। दो घण्टे बाद घर की घण्टी बजी ।देखा तो सर का गनमैन था। बोला कि एस पी साहब आये हैं। मैं हतप्रभ ।
बाहर भागी ।सर गाड़ी में बैठे थे । मेरे जाते ही आठ पास मेरे हाथ में रखे और बोले-‘खुश रहा करो ।मैं हूँ ना ‘
कितनी ही बार हम सर के घर पहुंच जाया करते थे खाना खाने और उनके नॉन स्टॉप चुटकुले और गाने सुनने। खुशमिजाजी ,नेकनीयती की मिसाल सर अपने आखिरी सफर पर जाने से पहले भी कोई लतीफा ही सुनाकर गए होंगे।
उनसे आख़िरी मुलाक़ात की स्मृति कुछ माह पुरानी है। उन्होंने मुझसे मेरी कविताएं पढ़ने को मांगीं। मैंने किताब ले जाकर उन्हें दी। किताब उलटते पलटते बोले कि तुम कोई अपनी पसंदीदा कविता मुझे सुनाओ।
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मैंने ‘ रो लो पुरुषो ‘ उन्हें सुनाई थी।सुनने के बाद दो मिनिट चुप बैठे रहे । फिर बोले-‘तुम मेरे साथ अलीगढ़ चलना ।मैं तुम्हें बच्चियों के कॉलेज ले जाना चाहता हूँ। उनसे बातें करना’ मैंने कहा था कि सर आप ठीक हो जाइए ,फिर हम चलेंगे अलीगढ़।आज ख़बरों में सर सिर्फ उनकी मृत्यु के समाचार के लिए नहीं हैं। उनकी खूबसूरत शख्सियत और एक कोमल मन वाले ,हंसते हंसाते रहने वाले इंसान की आत्मीय स्मृतियों के रूप में हैं। इससे ज़्यादा क्या कमाई होगी किसी इंसान की जीवन में कि उसने सारी ज़िन्दगी दुआएं बटोरी हों और हर दिल में आँखें भिगो देने वाली स्मृतियां छोड़ कर चला जाये। उनको जानने वाले हर व्यक्ति के पास उनके प्रेमिल और करुण स्वभाव के क़िस्से हैं।सर आप सदा हमारे दिल में रहेंगे ।जहाँ भी रहें आप ,आपकी निश्छल हँसी सलामत रहे।              अलविदा सर…
IPS सैयद मोहम्मद अफजल के निधन पर महिला अधिकारी की भावुक पोस्ट

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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