Pariksha Pe Charcha 2024 : पीएम मोदी ने स्टूडेंट्स को दिया गुरु मंत्र, तकनीक के चलते लिखने की आदत नहीं छोड़ें, पेरेंट्स और टीचर्स से अनुरोध- “बच्चों पर विश्वास करें”

Pariksha Pe Charcha PM Modi

Pariksha Pe Charcha PM Narendrar Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक बार फिर देश के स्टूडेंट्स को परीक्षा से पहले चर्चा की, उन्होंने एक बार फिर “Pariksha Pe Charcha” के सातवें संस्करण के साथ आये और उन्होंने स्टूडेंट्स के साथ साथ टीचर्स और पेरेंट्स से भी चर्चा की , पीएम ने तनाव के कारण, उससे जुड़े विषयों और उसे दूर करने के लिए स्टूडेंट्स, टीचर्स और पेरेंट्स की सहभागिता पर विस्तार से चर्चा की, इस कार्यक्रम में करीब 2 करोड़ स्टूडेंट्स और करीब 15 लाख टीचर्स और पेरेंट्स शामिल हुए।

Pariksha Pe Charcha 2024 : पीएम मोदी ने स्टूडेंट्स को दिया गुरु मंत्र, तकनीक के चलते लिखने की आदत नहीं छोड़ें, पेरेंट्स और टीचर्स से अनुरोध- "बच्चों पर विश्वास करें"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा स्टूडेंट्स के सवालों के बहुत ही सहज और सरल तरीके से जवाब दिए, स्टूडेंट्स का मुख्य फोकस परीक्षा के दौरान होने वाला तनाव था, साथ ही उनकी चिंता थी कि कैसे तनाव दूर करने के लिए सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए, पीएम ने इसके लिए टीचर्स को बहुत जरुरी सलाह दी, उन्होंने कुछ सवालों के उत्तर में टीचर्स से कहा कि आपका स्टूडेंट्स के साथ रिश्ता पूरे वर्ष रहेगा तो परीक्षा के समय तनाव नहीं रहेगा, टीचर का काम जॉब करना नहीं जिंदगी बदलना है, स्टूडेंट की जिंदगी की संवारना हैं उसे सामर्थ्यवान बनाना है।

Pariksha Pe Charcha 2024 : पीएम मोदी ने स्टूडेंट्स को दिया गुरु मंत्र, तकनीक के चलते लिखने की आदत नहीं छोड़ें, पेरेंट्स और टीचर्स से अनुरोध- "बच्चों पर विश्वास करें"

पीएम का गुरु मंत्र- लिखने की आदत नहीं छोड़े, खूब लिखें, बार बार पढ़ें, खुद सुधारें  

त्रिपुरा की छात्रा अदित्रा चक्रवर्ती, छत्तीसगढ़ के छात्र शेफ रहमान, ओडिशा की छात्रा राज लक्ष्मी ने परीक्षा के समय होने वाली घबराहट से लिखावट ख़राब होने , प्रश्नों को सही ढंग से नहीं पढ़ पाने जैसे सवाल किये , पीएम मोदी ने जवाब देते हुए कहा कम्प्यूटर, मोबाइल और तकनीक के चलते हमारी लिखने की आदत कम हो गई है इसे कम नहीं कीजिये क्योंकि परीक्षा में आपको लिखना ही है, इसलिए रोज खूब लिखिए उसे पढ़िए, बार बार पढ़िए, फिर उसमें सुधर कीजिये फिर देखिये आपका ध्यान आपके प्रश्नपत्र पर रहेगा और परीक्षा भवन में परेशानी नहीं होगी ।

पेरेंट्स को सलाह- मस्ती के साथ परीक्षा में जाने दें, न कुछ नया दें न ज्यादा खिलाएं   

उन्होंने पेरेंट्स से कहा कि परीक्षा देते समय कृपया बच्चे को नया कपड़ा पहनने नहीं दें, नया पेन नहीं दें जिन कपड़ों में वो रोज स्कूल जाता हैं जानें दें, जिस पेन से रोज लिखता है वहीँ रहने दें, समय ख़राब न करें, वहां कोई नहीं देखेगा नए कपड़े और नया पेन। एक बात और परीक्षा देने जाते समय उसे कुछ स्पेशल नहीं खिलाएं, जिद न करें यहीं से तनाव शुरू होता है जो परीक्षा भवन तक जाता है। उसे जो अच्छा लगता है जितना अच्छा लगता है खाने दीजिये और कम्फर्ट रहने दीजिये, उसे मस्ती में परीक्षा देने जाने दीजिये।

परीक्षा भवन में अर्जुन की कहानी की तरह चिड़िया की आंख पर फोकस रखें  

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बार आप आगे की बेंच पर होते हैं और पेपर पीछे से बंटना शुरू होता है तो आप तनाव में आ जाते हैं ऐसा कुछ नहीं सोचिये अगल बगल की दुनिया को छोड़ें, तनाव खुद छूट जायेगा हमने अर्जुन की कथा बहुत सुनी है लेकिन परीक्षा भवन में हमारा ध्यान चिड़िया की आंख से ज्यादा पेड़ पत्तियों पर ज्यादा यानि इधर उधर ज्यादा रहता है जो तनाव का कारण बनता है। परीक्षा भवन में 10 मिनट पहले पहुंचे जैसे रेलवे स्टेशन पर पहुँचते हैं, अपनी बेंच देखें  वहां आराम से बैठें और गहरी साँस लेकर रिलेक्स हो, परीक्षा के लिए अपने आप को तैयार करें, खुद पर भरोसा करें।

खुद पर भरोसा करें, आधे अधूरे मन से कोई काम नहीं करें 

बंगाल की छात्रा मधुमिता, हरियाणा की छात्रा अदिति ने सवाल किया कि हम अपने करियर को चुनते समय अनिश्चितता महसूस करते है या फिर हम जो करियर चुनते हैं लोग उसे लेकर ताने मारते हैं, इस स्थिति से कैसे बचें? पीएम मोदी ने जवाब दिया ऐसा तब होता है जब हम अपने आप पर भरोसा नहीं करते, आप 50 लोगों से पूछते हैं आप दूसरों की सलाह पर निर्भर रहते हैं और जो सबसे खास होता है या फिर हमें जो सलाह सबसे सरल लगती है उसे मान लेते हैं, इसलिए सबसे बुरी स्थिति अनिश्चितता है इससे बचें और पक्का निर्णय लें। जो काम करें पूरे मन से करें, आधे अधूरे मन से कोई काम ना करें, पीएम ने स्वच्छता अभियान का उदाहरण देते हुए इस बात को समझाया ।

पीएम की गुजारिश- बच्चों पर कभी अविश्वास नहीं करें 

पुडुचेरी की एक छात्रा ने टीचर्स और पेरेंट्स द्वारा उनपर अविश्वास किए जाने से जुड़ा सवाल किया, पीएम ने कहा कि जब बच्चा घर आकर खाने से मना करता है, कहता है मन नहीं है तो माँ कहती है बाहर से खाकर आया होगा, दोस्तों ने कुछ खिला दिया होगा? ये अविश्वास है, ऐसा नहीं करें। कुछ घरों में पॉकेट मनी दी जाती है और फिर अगले ही दिन से उसके बारे में पूछताछ शुरू हो जाती है कि क्या किया ? क्यों भाई 30 दिन के लिए दी है तो भरोसा करो बच्चे पर, जब ये रोज के जीवन में अविश्वास होता है तो धीरे धीरे दूरियां बढ़ती हैं और फिर तनाव और डिप्रेशन की स्थिति बनती है।

उन्होंने कहा कि टीचर को भी खुलापन रखना चाहिए, ज्यादातर टीचर उन चार पांच बच्चों पर ही फोकस करते हैं जो होशियार हैं उनके लिए सब समान होने चाहिए, उन्हें किसी की लिखावट, किसी के कपड़े, किसी के हेयर स्टाइल की तारीफ करनी चाहिए जिससे बच्चा समझे कि टीचर का ध्यान उस पर भी है लेकिन स्टूडेंट्स को भी आत्मचिंतन करना चाहिए कि ऐसी क्या बात है जिससे परिवार का या फिर टीचर का उसपर से भरोसा कम हो रहा है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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