‘मामा छोड़ दिया भांजों को’ युवाओं ने शिवराज का हाथ पकड़ रुकने की मनुहार की, भीड़ ने घेरा

Shivraj Singh Chauhan

Popularity of Shivraj Singh Chouhan : बुधवार को शिवराज सिंह चौहान के नाम के साथ पूर्व मुख्यमंत्री जुड़ गया। लेकिन कई लोग अब भी उनके जाने से दुखी हैं। दो दिन पहले जब मोहन यादव के नाम का ऐलान हुआ तो मुख्यमंत्री निवास पहुंची की महिलाएं बिलख बिलखकर रोईं। आज भी नवनियुक्त मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ ग्रहण समारोह में लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। जब वो कार में बैठे तब तो कुछ युवक उनका हाथ पकड़ ये तक कहने लगे कि मामाजी आपने भांजों का साथ छोड़ दिया।

समारोह के बाहर लोगों ने घेरा

शिवराज सिंह चौहान भले 5वीं बार मुख्यमंत्री न बन पाए हों..लेकिन इससे लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। बुधवार को वो मोहन यादव के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे और जब समारोह से बाहर निकले तो भारी भीड़ ने उन्हें घेर लिया। लोग ‘मामाजी जिंदाबाद जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे और कोई भी उन्हें जाने नहीं देना चाहता था। इस भीड़ में हर उम्र के लोग शामिल थे। कोई उन्हें रोक रहा था, कोई हाथ मिलाना चाहता था और कोई उन्हें आवाज़ दे रहा था। स्थिति ये हो गई कि सुरक्षाकर्मी बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से निकाल पाए।

कार में बैठे तो युवक ने पकड़ा हाथ

लेकिन कार तक पहुंचने के बाद भी लोगों ने उन्हें छोड़ा नहीं। जब शिवराज सिंह चौहान अपनी गाड़ी में बैठे तो उसके शीशे खुले हुए थे। इसके बाद एक युवक ने उनका हाथ पकड़ लिया। वहीं कुछ युवक कहने लगे कि ‘मामाजी छोड़ दिया आपने भांजों को अपने’ वहीं दूसरे युवक ने कहा कि ‘नहीं छोड़ा..फिर आओगे’। इस तरह लोग कार को घेरकर खड़े हो गए और उनके नाम के नारे लगाने लगे। किसी तरह बड़ी मुश्किल से लोगों को हटाकर शिवराज सिंह चौहान की कार वहां से निकल पाई। भले ही मुख्यमंत्री के रूप में उनकी पारी का अंत हो गया हो, लेकिन जनता के बीच उन्होने जिस तरह की छवि बनाई है और जो रिश्ता कायम किया है..वो जल्द विस्मृत नहीं होगा। ये दृश्य देखकर तो यही लगता है कि लोग उन्हे लंबे समय तक याद रखेंगे।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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