भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के गठन से पहले बड़ा प्रशासनिक फेरबदल कर दिया है। जिसमें 48 आईएएस समेत दो दर्जन जिलों के कलेक्टरों को भी बदला गया है। खास बात यह है कि इस फेरबदल में ग्वालियर-चंबल संभाग के 8 जिले भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी एवं गुना के कलेक्टर बदल दिए हैं। सिर्फ अशोकनगर जिले की कलेक्टर को नहीं बदला है। राजनीतिक दृष्टि से इस फेरबदल को चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा ग्वालियर-चंबल संभाग में हुआ। जहां 12 सीटें से बढ़कर कांग्रेस 24 सीट पर पहुंची। इस फेरबदल पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं क्योंकि कुछ ऐसे अधिकारियों को फिर से कलेक्टर बनाया है जिन पर विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने आरोप लगाए थे।
आमतौर पर जिलों में अफसरों की पदस्थापना में प्रभारी मंत्री एवं स्थानीय नेताओं की राय को भी तवज्जो दी जाती है। लेकिन जिस तरह से तबादला आदेश जारी किए हैं, उसमें किसी भी कांग्रेस नेता से राय नहीं मांगी गई है। सिंधिया-दिग्विजय के प्रभाव वाले जिलों के कलेक्टर बदलने पर कांग्रेस में ही सवाल उठ रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने गृह नगर छिंदवाड़ा के कलेक्टर एवं एसपी को भी बदल दिया है।
अजय दुबे ने उठाये सवाल
प्रदेश कांग्रेस की सूचना का अधिकार सेल के प्रभारी अजय दुबे ने इस फेरबदल पर तीखी प्रतिक्रिया दी है| उन्होंने कहा है कि यह फेरबदल कांग्रेस के दिवालियापन को दर्शाता है| सोशल मीडिया पर अजय दुबे ने लिखा है कि इस फेरबदल में भ्रष्ट लोगों की उपयोगिता को पर्याप्त सम्मान और टारगेट दिया गया है|
साल पूरा नहीं कर पाए ये कलेक्टर
हटाए गए कलेक्टरों में ज्यादातर वो हैं, जो एक साल भी कलेक्टरी नहीं कर पाए हैं। इनमें शिल्पा गुप्ता शिवपुरी कलेक्टर, दिलीप कुमार सीधी, वीरेन्द्र रावत दतिया, वेदप्रकाश छिंदवाड़ा, विजय कुमार दमोह, बी विजय दत्ता गुना, मोहित बुंदस डिंडौरी, धनराजू एस भिंड कलेक्टर (विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने कलेक्टर बनाकर भेजा था), भरत यादव मुरैना, प्रियंका दास होशंगाबाद में एक साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए हैं।