भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में एक IFS अधिकारी (IFS Offficer) की पदोन्नति (MP IFS promotion) विवादों के घेरे में है। IFS अजय कुमार पांडे (IFS Ajay kumar pandey) को 1 जनवरी को वन संरक्षक के पद पर पदोन्नति दे दी गई है। हैरत की बात यह है कि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध के गंभीर आरोप है जिसकी जांच के लिए खुद प्रमुख सचिव ने एक समिति बनाई है। वाकई एमपी (MP) गजब है। जिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है और खुद विभाग के प्रमुख सचिव ने एक सीनियर अधिकारियों (senior officer) की समिति उन आरोपों की जांच के लिए बना दी हो, उसे पदोन्नति दे दी गई।
मामला होशंगाबाद में पदस्थ रहे DFO अजय कुमार पांडे का है जिन पर आरोप है कि उन्होंने DFO होशंगाबाद पदस्थ रहते हुए अपने अधीनस्थ रेंजर के माध्यम से लाखों रुपए का गोलमाल किया। उन पर 1.90 करोड़ की औषधि योजना के अंतर्गत घोटाला करने, फर्जी टूर की डायरी लिख कर लाखो रुपये के TA BILL बनाने व वाहन की लागबुक बिना ड्राईवर के कालातित अवधि के TA BILL पास करने का आरोप है।
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इस मामले की शिकायत लोकायुक्त में भी हुई,जांच हुई थी।साल भर पहले विभागीय मंत्री से लेकर अधिकारियो तक इसकी शिकायत की गयी लेकिन कोई कारवाई नही हुई। 1 जनवरी को अजय कुमार पांडे को पदोन्नत कर दिया गया और उन्हें वन संरक्षक बना दिया गया।हैरत की बात यह है कि प्रमोशन के चार दिन बाद ही वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने दो अधिकारियों, जिनमें CCF होशंगाबाद और CCF वर्क प्लानिंग होशंगाबाद शामिल हैं, की एक समिति अजय कुमार पांडे के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए बनाई दी।
अब सवाल यह है कि जब साल भर से अजय के खिलाफ शिकायत लंबित थी तो कमेटी बनाने के लिये प्रमोशन का इन्तजार क्यो किया गया! इस पूरे मामले की शिकायत रिटायर्ड वन अधिकारी मधुकर चतुर्वेदी के द्वारा प्रमुख सचिव वन सहित तमाम आला अधिकारियों को की है। उन्होंने अजय कुमार पांडे के निलंबन की भी मांग की है ताकि जांच कार्रवाई प्रभावित ना हो। मधुकर ने सवाल उठाया है कि आखिरकार अजय कुमार पांडे पर आखिरकार विभाग की ये मेहरबानी क्यों!