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Sat, Dec 20, 2025

जतारा आरक्षित सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी किरण अहिरवार की जाति को लेकर उठे सवाल, चुनाव आयोग में शिकायत

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
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जतारा आरक्षित सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी किरण अहिरवार की जाति को लेकर उठे सवाल, चुनाव आयोग में शिकायत

Election Commission Of India

कांग्रेस ने जतारा विधानसभा सीट पर किरण अहिरवार को प्रत्याशी बनाया है। पिछली बार 2019 में लोकसभा चुनाव में किरण ने टीकमगढ़ लोकसभा से चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गई थीं। ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां से बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक हरिशंकर खटीक को उम्मीदवार बनाया है। अब इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जाति को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी की जाति को लेकर प्रश्नचिन्ह

टीकमगढ़ में 3 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से जतारा अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। यहां तीनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और कांग्रेस  लगातार संघर्ष कर रही है। जतारा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास देखें तो 1990 से लेकर बीजेपी को इस सीट से पांच बार जीत हासिल की है। ऐसे में अब किरण अहिरवार की उम्मीदवारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, इस शिकायत में कहा जा रहा है कि किरण अहिरवार मध्य प्रदेश राज्य हेतु अनुसूचित जाति की सदस्य नहीं हैं।

शिकायत में कही ये बात

इस शिकायत में कहा जा रहा है कि किरण अहिरवार दिवंगत आईएएस मध्य प्रदेश कैडर रामनिवास बैरवा की पुत्री हैं और उनका विवाह टीकमगढ़ निवासी आशाराम सिंह से हुआ है। इनके पति मूलत: टीकमगढ़ अनुसूचित जाति के सदस्य हैं। इसमें कहा गया है कि रामनिवास बैरवा राजस्थान के निवासी थे और उनकी जाति राजस्थान राज्य हेतु अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है तथा केंद्रीय सेवा आईएएस में उनका चयन अनुसूचित जाति की श्रेणी में होकर उन्हें मध्य प्रदेश कैडर आवंटित हुआ था। पत्र में लिखा है कि ‘यहां उल्लेखित है कि भारत संविधान आदेश 1950 के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति की राज्यवार सूची जारी की गई है। इस सूची के अनुसार उन्हें उस राज्य में आरक्षण का लाभ प्राप्त होता है। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि आरक्षण का लाभ उसी राज्य में प्राप्त होगा जिस राज्य में वह 1950 के पूर्व से निवासरत थे। यदि कोई व्यक्ति 1950 के बाद राज्य में माइग्रेट करता है तो उस व्यक्ति को माइग्रेटेड राज्य *राज्य की सेवाओं* में आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं होगा भले ही उसकी मूल राज्य की जाति भी माइग्रेटेड राज्य में आरक्षित श्रेणी में आती हो। ये लाभ केंद्रीय सेवाओं में प्राप्त हो सकता है।

दूसरे शब्दों में राजस्थान के बैरवा अनुसूचित जाति को मध्यप्रदेश के राज्य की सेवाओं में बैरवा अनुसूचित जाति को आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं होगा।’ पत्र में ये भी लिखा गया है कि पुत्री की आरक्षित होने की जाति उसके पिता की जाति से निर्धारित होती है न कि पति की जाति से। इस तरह अब किरण अहिवार की जाति को लेकर सवाल उठे हैं और देखना होगा कि इस शिकायत पर चुनाव आयोग द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है।