भोपाल| चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद आज भोपाल में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सीएम को लेकर प्रस्ताव पर सहमति बन गई है| अंतिम फैसला कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी करेंगे| सीएम पद के लिए कमलनाथ के नाम का प्रस्ताव बैठक में रखा गया था जो सर्वसम्मत्ति से पास हो गया है| सिंधिया समर्थक भी उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन कमलनाथ को लेकर भी ज्यादातर नेता सहमत दिखे और विधायक दल में भी कमलनाथ के नाम पर सहमति बनने की संभावना है | अंतिम फैसला आलाकमान के द्वारा होगा| संभावना है कमलनाथ के नाम पर मुहर लग सकती है| पहले चर्चा में कमलनाथ का नाम तय मना जा रहा था, लेकिन पार्टी की प्रक्रिया के तहत पार्टी हाईकमान के द्वारा ही सीएम की घोषणा होगी, बैठक के बाद बाहर आये विधायकों को भी घोषणा न करने की सलाह दी गई है| जल्द ही फैसला लिया जा सकता है| आखिरी निर्णय तक सबको इन्तजार करना होगा|
राज्य में कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री के लिए चेहरा घोषित नहीं किया था। इसे लेकर भाजपा ने कई बार कांग्रेस को घेरा। कई बड़े नेता तंज कसते हुए कह चुके हैं कि कांग्रेस बिन दुल्हे की बारात है या फिर कई दुल्हों वाली बारात है। अब जब कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है तो मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर चर्चा जोरो पर थी| आख़िरकार विधायक दल की राय ले ले गई है और दिल्ली से आये पर्यवेक्षक एन्टोनी ने एक एक विधायक से मुलाकात की वहीं हाथ खड़ा करवा कर भी प्रस्ताव पर सहमति ली गई, चर्चा थी कि कमलनाथ का नाम तय हो गया लेकिन मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने प्रेस वार्ता कर कहा है कि विधायक कमलनाथ को सीएम बनाना चाहते हैं, अंतिम फैसला आलाकमान द्वारा किया जायेगा| एक प्रक्रिया के तहत राहुल गाँधी इसकी घोषणा करेंगे| बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सीएम की दौड़ में शामिल हैं, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है जिसके चलते सिंधिया के नाम पर भी विचार किया जा सकता है|
कमलनाथ : कमलनाथ एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और संगठन क्षमता में माहिर माने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थीं जिन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता पहुँचाने में कमलनाथ की अहम् भूमिका रही है| 1980 में पहली बार सांसद बने। आठ बार से छिंदवाड़ा से सांसद हैं। हवाला केस में नाम आने के कारण मई 1996 के आम चुनाव में कमलनाथ चुनाव नहीं लड़ सके। इस हालत में कांग्रेस ने कमलनाथ की पत्नी अलका कमलनाथ को टिकट दिया जो विजयी रहीं। वहीं 1997 के फरवरी में हुए उप चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से 37,680 वोटों से हार गए। कमलनाथ पहली बार 1991 में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने। वे कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), केंद्रीय उद्योग मंत्री, परिवहन व सडक़ निर्माण मंत्री, शहरी विकास, संसदीय कार्य मंत्री बने।
ज्योतिरादित्य सिंधिया : मध्य प्रदेश की राजनीती में अच्छा खासा दखल रखने वाले सिंधिया परिवार के मुख्य, राजमहल से सम्बन्ध के कारण एक ग्लैमर है| युवा वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है| शुरुआती शिक्षा बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में हुई। उसके बाद दून स्कूल चले गए। उच्च शिक्षा हार्वर्ड से स्नातक की डिग्री ली। स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। अमरीका में साढ़े सात साल रहे और नौकरी की। पिता की विमान हादसे में निधन के बाद राजनीति में आए। पहली बार गुना से 2002 में सांसद बने। इसके बाद से लगातार चार बार से सांसद हैं। 2012 में कांग्रेस सरकार में केंद्र में मंत्री बने और 2014 तक रहे। बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं। जबकि यशोधरा राजे मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। राहुल गांधी के भरोसेमंद हैं और प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में भूमिका निभाने को तैयार हैं।
दिग्विजय सिंह: कांग्रेस के चाणक्य हैं। उन्होंने प्रदेश पर एक दशक तक हुकूमत की है। वह प्रदेश की सियासत की हर नब्ज से वाकिफ हैं। कुछ हल्कों में अभी भी उनका नाम सीएम की दौड़ में शामिल है। हालांकि वह इस दौड़ में खुद को शामिल नहीं मानते हैं। वह अपने परिवार के तीन सदस्यों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इससे जाहिर होता है पार्टी में उनका कद अभी घटा नहीं है। उन्होंने बागियोंं और नाराज नेताओं को मनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।