जबलपुर, संदीप कुमार। वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा (Rajya Sabha MP Vivek Tankha) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) को डी.ए.पी यूरिया (DAP Urea) में 58 प्रतिशत वृद्धि किए जाने पर पत्र लिखा है। राज्यसभा सांसद ने लिखा है कि प्रधानमंत्री जहां किसानों को राहत दे रहे हैं तो वहीं आपकी सरकार उनकी मुसीबत बढ़ा रही है।
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राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने पत्र में बताया कि बीते गुरुवार को मेरे पास सन्देश आया कि प्रधानमंत्री जी अक्षय तृतीया के पर्व पर देश के किसानों के लिए सहायता राशि जारी कर रहे हैं, सन्देश पढ़कर लगा कि अंतत: केंद्र सरकार किसानो की भलाई के लिए कदम उठा रही है। लेकिन आश्यर्य हुआ कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री किसानों को सहायता का आश्वासन दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आपकी सरकार किसानों पर उर्वरकों के दामों में बेतहाशा वृद्धि का बोझ लादने पर अमादा है। केंद्र ने वैसे ही तीन कृषि संकट कानून लागू कर रखे हैं, जिनका विरोध देश भर में हो रहा है।
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राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि हमारा 72वां गणतंत्र दिवस इसका गवाह रहा है। आज भी आप देश की राजधानी की सीमाओं पर इन कृषि कानूनों का हाल देख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में किसानों पर हर थाली में अन्न पहुंचाने की महत्त्वपूर्ण और गंभीर जिम्मेदारी है जिसे वो बड़ी शिद्दत से निभाने में लगे हैं। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कॉपरेटिव लिमिटेड (Indian Farmers Fertilizer Cooperative Limited) ने गैर–यूरिया उर्वरकों की कीमतें पहले से ही नियंत्रण मुक्त कर रखी हैं तो आपने भी किसानों को उपलब्ध करायी जा रही डाई – अमोनियम फास्फेट और अन्य उर्वरकों की कीमत में भारी इजाफा करते हुए डाई – अमोनियम फास्फेट में 58 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। जबकि आप स्वयं एक किसान हैं और जानते है कि यूरिया के विकल्प के रूप में सबसे अधिक डी.ए.पी का ही इस्तेमाल होता है। इसी तरह अमोनिया, सल्फर, यूरिया और पोटाश के मिश्रण वाले उर्वरकों में भी भारी वृद्धि कर दी गयी।
कोरोना काल में बढ़ी बेरोजगारी
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने पत्र में बताया कि आज कोरोना ने वैसे ही प्रदेश के लाखों युवाओं को बेरोजगार किया हुआ है और महंगाई आसमान छू रही है। तब खाद की कीमतों में वृद्धि से न सिर्फ किसानों प्रभावित होंगे बल्कि खेती में लागत बढ़ने से अनाज और सब्जियों की कीमतों में भी वृद्धि को आप रोक नहीं पायेंगे। किसानों को मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य भी पहले से ही बहुत कम है और उर्वरकों की बढ़ी कीमतों का असर हमारे और आपके दैनिक जरूरत की चीजों पर भी पड़ेगा। आज लगभग दो वर्षों से हमारा देश कोरोना का दंश झेल रहा है और यह महामारी हमारा इतिहास और भूगोल बदलने पर अमादा है। कहना मुश्किल है कि हम नया सवेरा कब देखेंगे ऐसे मुश्किल समय में आपसे अनुरोध है कि प्रदेश हित में अपने आदेश पर पुनर्विचार कर इसे वापस लेने का कष्ट करें और प्रदेश की जनता को भी इस मुश्किल समय में मुस्कुराने का हक दें।