पिता को याद कर भावुक हुई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह

Pooja Khodani
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SHIV SADHNA

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhaan) की पत्नी साधना सिंह (Sadhna Singh) अपने पिता घनश्याम दास को याद कर आज गोपाष्टमी (Gopasthmi) के दिन भावुक (Emotional) हो गई। उन्होंने सोशल मीडिया (Social Media) पर कविता (Poem) के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए है, जिसे सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर शेयर (Share) किया है।

शिवराज ने लिखा है कि पिता और पुत्री (Daughter) का रिश्ता दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता (Relation)होता है। यह ऐसा रिश्ता है, जिसमें कोई शर्त नहीं होती, यह बिल्कुल निस्वार्थ होता है। पुत्री, पिता के सबसे करीब और पिता (Father) का अभिमान (Proud) भी होती है। एक बेटी को सबसे ज्यादा प्यार और गर्व अपने पिता पर होता है।

दरअसल, बीते दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान के ससुर का हार्ट अटैक (Heart Attack) से भोपाल (Bhopal) के एक निजी अस्पताल ([Private Hospital) में निधन हो गया था। घनश्याम दास मसानी 88 वर्ष के थे। उनका जन्म 15 नवंबर 1932 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के गोदिया शहर में हुआ था। वह अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सक्रिय सदस्य और समाजसेवी के रूप में दिया है। उनका अंतिम संस्कार महाराष्ट्र के गोंदिया ही किया गया था, जहां शिवराज सपरिवार वहां पहुंचे थे। वहां से लौटने के बाद आज रविवार को साधना सिंह पिता को याद कर भावुक हो गई।

श्रीमति साधना सिंह ने स्व पिता का पुण्य स्मरण करते हुए अपने भाव कुछ पंक्तियों में उल्लेखित किए है

बाऊजी
जिसके कंधे पे बैठकर घूमा करती थी… उसे कंधा देकर आयी हूँ…
उसके माथे को चूमकर , ज़िंदगी की नसीहतें लेकर आयी हूँ..

उसने सिखाया ही नहीं सर को झुकाना और शरमाना मुझे..
तो जो सिखाया था.. बस उसे जीकर आयी हूँ..

जब उसे ले जा रही थी तब समंदर था आँखों में मेरी…
अब घर लौटी हूँ तो सारा समंदर पीकर आयी हूँ…

मेरे गालों पर हर अश्क़ नागवारा था उसे….
तो बस उसी के लिए… ये ज़ख़्म भी सीकर आयी हूँ….

मैं परी थी उसकी… अब वो मेरा फ़रिश्ता रहेगा
जाते हुए भी ये वादा उससे लेकर आयी हूँ….

उसकी देह को छोड़ आयी हूँ उसकी ख़ुशी के लिए…
पर उसकी आत्मा को अपने लिए सहेजकर लायी हूँ..

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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