SAHARA इंडिया पर निवेशकों के करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का आरोप, बढ़ी मुश्किलें, मिली चेतावनी

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में सहारा इंडिया (SAHARA India) की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दरअसल सहारा इंडिया द्वारा लाखों निवेशकों (investors) के हजारों रुपए हड़प लिए गए हैं। जिसके बाद निवेशक तनाव में है। इस दौरान पैसा वापस लेने के लिए निवेशक लगातार सहारा इंडिया के ऑफिस में इधर-उधर भटक रहे हैं। जिस पर सपाक्स पार्टी ने चेतावनी दी है।

दरअसल सपाक्स ने सहारा इंडिया को चेतावनी दी कि यदि 15 दिन में निवेशकों के रुपए संबंधित मामले का निराकरण नहीं किया गया तो प्रदेश में तहसील स्तर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा और साथ ही बड़े आंदोलन किए जाएंगे। सपाक्स पार्टी (Sapaks Party) के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश शुक्ला ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि सहारा इंडिया कंपनी में एजेंट के द्वारा जमा की गई राशि की मैच्योरिटी डेट (maturity date) काफी समय पहले पूरी हो चुकी है लेकिन अब तक निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिला है।

सपाक्स के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश शुक्ला की माने तो सहारा इंडिया कंपनी में एजेंटों द्वारा 2900 करोड़ रुपए की मैच्योरिटी पूरी होने के बाद भी निवेशक अपने पैसे के लिए इधर उधर भटक रहे हैं। वहीं पार्टी के मीडिया प्रभारी शैलेंद्र व्यास का कहना है कि प्रदेश ने सहारा इंडिया कंपनी द्वारा लगभग 80 लाख निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है जबकि 50 हजार बेरोजगार हो चुके कंपनी के एजेंट भी कोर्ट की प्रक्रिया में उलझे हुए हैं।

SAHARA इंडिया पर निवेशकों के करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का आरोप, बढ़ी मुश्किलें, मिली चेतावनी

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वही तनावपूर्ण स्थिति में रहने की वजह से और आर्थिक तंगी से परेशान हो कई बचत करता और एजेंट अब तक आत्महत्या जैसे कठोर कदम भी उठा चुके हैं। ऐसे में सपाक्स ने सहारा इंडिया को जल्द से जल्द निवेशकों के रुपए संबंधित मामले के निराकरण की बात कही है। वहीं सपाक्स द्वारा चेतावनी दी गई है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो 15 दिन के बाद प्रदेश में तहसील स्तर पर धरना-प्रदर्शन आंदोलन किया जाएगा।

बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश सहारा पैरा बैंकिंग के जोनल हेड राजेंद्र सक्सेना ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वही सहारा इंडिया कंपनी के एमपी नगर जोन वन ऑफिस में भी बीते दिनों सैकड़ों से ज्यादा सहारा एजेंट पहुंचे थे और ऑफिस में तालाबंदी कर दी थी।

राजेंद्र सक्सेना को दो बार सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ जबलपुर स्थित EOW के कार्यालय तलब किया गया लेकिन उपस्थित नहीं हुए और पारिवारिक समस्याओं का हवाला देकर उन्होंने 18 अक्टूबर की तिथि EOW में पेश होने के लिए मांगी थी। लेकिन 18 अक्टूबर को सुबह ही एक बार फिर राजेन्द्र सक्सेना ने EOW कार्यालय पहुंचने में असमर्थता व्यक्त करते हुए अपना संदेश पहुंचा दिया था। उसके बाद राजेन्द्र सक्सेना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।


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