जबलपुर/कटनी। वंदना तिवारी।
लोकसभा चुनाव के बाद सरकार ने खदान कारोबारी और बीजेपी के विधायक संजय पाठक पर शिकंजा कस दिया है। बीजेपी विधायक संजय पाठक की खदानों पर प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जबलपुर के सिहोरा में चल रही ग्राम दुबियारा की आयरन की खनिज पट्टा तत्काल बंद कर आवश्यक जांच के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश जबलपुर कलेक्टर ने जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जबलपुर कलेक्टर भरत यादव ने आज विधायक संजय पाठक की ग्राम अगरिया की खदान को तुरंत बंद करने के आदेश दिए जिसके बाद कलेक्टर द्वारा गठित की टीम ने मौके पर पहुँच कर खदान का जांच करते हुए उसे बंद कर दी है। जिला प्रशासन की इस कार्यवाही के बाद से प्रदेश भर में हड़कंप मच गया है।
दरअसल, पूर्व मंत्री संजय पाठक की सिहोरा तहसील के अगरिया, दूबरिया सहित कई वन भूमि में आयरन की खदान चल रही थी।इस खदान के विरूध सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका लगाई गई थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कलेक्टर को कार्यवाही के आदेश दिए। जिसके बाद कलेक्टर भरत यादव ने सिहोरा एसडीएम के नेतृत्व में एसडीओ वन विभाग, खनिज अधिकारी,तहदीलदार सिहोरा, नयाब तहदीलदार मंझगवा ओर राजस्व निरीक्षक की टीम गठित कर कार्यवाही के निर्देश दिए। जिसके परिपेक्ष में शनिवार को जिला प्रशासन ने विधायक संजय पाठक की आयरन खदानों पर कार्यवाही करते हुए उसे बंद कर दिया। हम आपको बता दे कि अगरिया ग्राम में स्थित आयरन खदान मेसर्स निर्मला पाठक के नाम पर है जो कि विधायक संजय पाठक की माँ है।
इन जगहों पर जिला प्रशासन ने की कार्यवाही:–
माननीय सर्वोच्च न्यालय प्रदेश की परिपेक्ष में जबलपुर जिला प्रशासन ने मेसर निर्मला मिनरल्स जो कि सिहोरा के अगरिया के खसरा क्रमांक पुराना खसरा 680,नया रकवा 20.141 हेक्टेयर चेत्र क्षेत्र एवं ग्राम दूबियारा खसरा क्रमांक 440/1 पर खनिज आयरन की स्वीकृति को तत्काल बंद कर जांच के आदेश दिए है।
गरीबों के रोजगार पर संकट
इन खदानों के बंद होने से सीधए तौर पर वह परिवार प्रभावित हुए हैं जिनका रोजगार यहां मज़दूरी करने चल रहा था। ऐसे करीब 600 से अधिक परिवार हैं जो खदान में काम करते हैं। वह अब बेरोज़गार हो गए हैं। खदान बंद होने के आदेश को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। संजय पाठक बीजेपी सरकार में मंत्री रहे हैं। उससे पहले वह कांग्रेस से विधायक थे। लेकिन बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। अब प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है। ऐसे में इसे बदले की राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।