सिंधिया का न्योता, ‘मोदी आकर देखें, कागज के टुकड़े पर कैसे बनता है मेडिकल कॉलेज’

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भोपाल। कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज की स्थापना पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने क्षेत्र की जनता को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को न्यौता भेजा है। साथ ही कहा है कि प्रधानमंत्री शिवपुरी आकर देखें कि कागज के टुकड़े पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण कैसे होता है। सिंधिया ने अपने फेसबुक पेज के जरिए भी मेडिकल कॉलेज को लेकर पीएम मोदी द्वारा पांच साल पहले किए गए कटाक्ष का उल्लेख किया है।

सिंधिया ने सोशल मीडिया पर लियाा कि ‘मैं प्रधानमंत्री को शिवपुरी आने के लिए आमंत्रित करता हूं, ताकि वे भी यहां आकर देखें कि कैसे कागज के टुकड़े पर मेडिकल कॉलेज बनता है।Ó उन्होंने आगे लिखा कि 5 साल पूर्व तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलामनबी आजाद जी ने शिवपूरी मेडिकल कॉलेज की घोषणा की थी। उसके बाद भारत सरकार ने शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की एक चि_ी जारी की। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान शिवपुरी आए नरेंद्र मोदी जी ने चुनावी सभा में कहा था कि आपके सांसद करिश्माई हैं, घोषणा कर देते हैं और कागज का टुकड़ा दिखाकर कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज बनेगा। मैं शिवपुरी की जनता की ओर से प्रधानमंत्री को आमंत्रित करता हूँ यह दिखाने के लिए कि कागज के टुकड़े से मेडिकल कॉलेज कैसे बनता है। उल्लेखनीय है कि शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज भवन लगभग बनकर तैयार है। संभवत: अगले सत्र से इसमें मेडिकल की पढ़ाई भी शुरू हो जाएगी।

शिवराज ने भी उठाए थे शिलान्यास पर सवाल 

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शिवपुरी प्रवास के दौरान तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद द्वारा 2014 में शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास पर सवाल उठाए थे। तब तत्कालीन सत्तारूढ़ दल की ओर से यह प्रचारित किया था कि मेडिकल कॉलेज के नाम पर शिवपुरी की जनता को छला गया। लेकिन सांसद सिंधिया के दखल के बाद राज्य सरकार को शिवपुरी मेडिकल कॉलेज का निर्माण वहीं करना पड़ा, जहां तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने शिलान्यास किया था।

जमकर हुई थी सियासत

2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मप्र की शिवराज सरकार ने भी शिवपुरी से मेडिकल कॉलेज छिनवाने की कोशिश की थी। पहले तो एमआईजी के नियमों के अनुसार मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का आवंटन कम किया था। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के लिए राज्य की ओर से जिन शहरों के नाम भेजे थे, उनमें शिवपुरी का नाम नहीं था। सिंधिया के दखल के बाद राज्य सरकार ने शिवपुरी मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव दिल्ली भेजा। साथ ही जमीन का रकबा बढ़ाया।

 


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