कांग्रेस में ऑल इज़ वैल है या नहीं! दिग्विजय सिंह के बयान से फैली सनसनी, कहा ‘राजनीति में मोटी चमड़ी वाले ही टिक पाते हैं’

Digvijaya Singh'

Speculation on Digvijaya Singh’s ‘thick skin’ statement : दिग्विजय सिंह ने कहा है कि जिन राजनेताओं की चमड़ी मोटी नहीं होती, वो राजनीति में टिक नहीं पाते हैं। उन्हें गांधी जी का स्मरण करते हुए कहा कि उनकी हत्या इसलिए कर दी गई थी कि उनमें दोषी ठहराने का साहस था। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की सियासी गहमागहमी के बीच उनके इस बयान ने गरमी और बढ़ा दी है। अब तक ये समझ नहीं आया है कि ये निशाना बीजेपी की तरफ साधा गया है या उन्होने अपने ही कुछ लोगों को लेकर नाराजगी जताई है।

विधानसभा चुनाव से पहले सनसनीखेज बयान

पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के भीतर बहुत कुछ ऐसा हुआ जिससे ये अटकलें लगाई जाने लगी कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। दरअसल टिकट बंटवारे के बाद कुछ लोगों की नाराजगी फूट पड़ी.. और इसी दौरान कमलनाथ का एक विडियो वायरल हुआ जिसमें वो ये कहते सुनाई दिए कि ‘जाकर दिग्विजय सिंह को कपड़े फाड़ो’। इस टिप्पणी के बाद एक बार फिर कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी की खबरें उठने लगी। बीजेपी ने कई तरह के आरोप लगाए लेकिन कांग्रेस का वचन पत्र जारी करने से पहले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने एक साथ मंच से इन बातों को खारिज कर दिया। उस समय कमलनाथ ने कहा कि मैंने गालियां खाने की पावर ऑफ अटॉर्नी दिग्विजय सिंह को दी है, वहीं राज्यसभा सांसद ने कहा कि उन दोनों के बीच बहुत पुराने संबंध है और ये सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक और आत्मीय संबंध हैं। दोनों के बीच मंच पर हास परिहास भी हुआ और इस तरह उन्होने ये बात साफ की कि कांग्रेस में और उन दोनों के मन में किसी भी तरह की दुर्भावना नहीं है।

क्या है इस बयान का अर्थ

लेकिन अब दिग्विजय सिंह द्वारा एक्स पर की गई पोस्ट को लेकर कई तरह की सुगबुगाहट हो रही है। उन्होने लिखा है “जिन राजनेताओं की चमड़ी मोटी नहीं होती वे राजनीति में टिक नहीं पाते। ये सार्वजनिक जीवन का मूल सिद्धांत है कि आप जिसपर विश्वास करते हैं उस पर दृढ़ रहें और अपने इस दृढ़ विश्वास के लिए दुर्व्यवहार सहने को भी तैयार रहें। गांधी जी की हत्या इसलिए की गई क्योंकि उनमें “दोषी ठहराने का साहस” था”। अब ये बात उन्होने किसे लक्षित करते हुए कही है, समझ से परे हैं। अगर बीजेपी पर निशाना साधना था तो वो सीधे सीधे नाम लेकर कह सकते थे क्योंकि ये कोई नई बात नहीं होती। मगर उनके बिना किसी को संबोधित किए इस ट्वीट के अब कई अर्थ निकाले जा रहे है। इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा कि वो ‘गाली खाने की पावर ऑफ अटॉर्नी’ या ‘कपड़े फाड़ने’ वाले बयान से आहत हैं और ये उसी का जवाब हो सकता है। हालांकि, ये सारी बातें भी कयास हैं लेकिन जब ऐसी टिप्पणी की गई है तो अंदाज़े लगना भी स्वाभाविक है। देखना होगा कि क्या वे अपने इस बयान को लेकर आगे कोई बात कहते हैं या नहीं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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