भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीएम शिवराज सिंह चौहान ‘नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 9 फरवरी 2017 को आचार्य शंकर की प्रतिमा स्थापित’ करने की घोषणा को पूरा करने जा रहे है। जल्द ही ओंकारेश्वर में 108 फीट की आचार्य शंकर की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना होगी। इसके लिए गुजरात में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और दुबई की बुर्ज खलीफा जैसी इमारतों को बनाने वाली कंपनी को काम सौंपा जाएगा। खास बात ये है कि यह मूर्ति ‘कमल’ के आकार के करीब 27 फीट ऊंचे बेस पर खड़ी होगी और प्रतिमा की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 918 फीट होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 2 हजार करोड़ रुपए खर्च आएगा। इस स्टेच्यु ऑफ वननेस से ओंकारेश्वर वैश्विक महत्व का स्थल बनेगा।
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आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी मंडल की बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि ओंकारेश्वर में 108 फीट की आचार्य शंकर की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना, संग्रहालय और अंतर्राष्ट्रीय वेदान्त संस्थान की स्थापना का प्रकल्प मध्यप्रदेश को पूरे विश्व से जोड़ने का कार्य करेगा। वस्तुत: यह एक राज्य का कार्य नहीं, मध्यप्रदेश की सीमाओं के बाहर देश के प्रमुख आचार्यों की सभा और संतों के आशीर्वाद से सम्पन्न किया जाने वाला महत्वाकांक्षी प्रकल्प है। यह दुनिया एक परिवार बने, इसके पीछे ये भाव भी है। न्यास के सदस्यों द्वारा दिये गये सुझाव पर मध्यप्रदेश सरकार गंभीरता से अमल करेगी। प्राप्त सुझावों के अनुरूप संपूर्ण कार्य-योजना को अंतिम स्वरूप देने के लिए तेजी से कार्य होगा।
ये है इसके पीछे का उद्देश्य
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि Statue of Oneness के निर्माण के पीछे भाव यह है कि मत-मतांतर, विद्वेष और वैमनस्य के भाव को समाप्त कर अद्वैत वेदांत के महत्व से जन-जन को अवगत करवाएगा। यह स्थान आचार्य शंकर के संपूर्ण जीवन दर्शन से अवगत करवाने, उनके अद्वैत वेदांत की अभिव्यक्ति, आने वाली पीढ़ी के चरित्र निर्माण, पर्यावरण संरक्षण, मठाम्नाय परम्परा, सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, विश्व-कल्याण और वसुधैव कुटुम्बकम के भाव के विकास के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में उभरेगा। धर्म की जय, अधर्म का नाश, प्राणियों में सद्भावना, विश्व का कल्याण” हमारा मुख्य उद्देश्य है।
एमपी राज्य पर्यटन विकास निगम को भी जिम्मेदारी
प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आचार्य शंकर की 108 फीट की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना और अन्य कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाने के लिए वास्तुविद सलाहकार की नियुक्ति कर ली गई है। ओंकारेश्वर प्रकल्प के लिए 58.30 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध हुई है। मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम को मैनेजमेंट और निर्माण एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है। आचार्य शंकर की प्रस्तावित निर्मितियों के अस्थाई प्रदर्शन के लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है।ओंकारेश्वर में प्रकल्प के क्रियान्वयन में जो प्रमुख कार्य होंगे उनमें अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण, संस्थान में 7 केन्द्र जो स्कूल के रूप में कार्य करेंगे, शामिल हैं।
प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने प्रेजेंटेशनमें बताया कि अद्वैत वेदांत संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शोध केन्द्र और समन्वय केन्द्र के रूप में कार्य करेगा। केन्द्र का मुख्य द्वार जगन्नाथ पुरी मंदिर के द्वार को अभिव्यक्त करेगा। कलात्मक शैली में निर्माण कार्य संपन्न होंगे। प्रेजेंटेशन में बताया गया कि ओंकारेश्वर में किए गए कार्यों के फलस्वरूप टेंपल टाउन की छवि विकसित होगी। परिसर में कई दर्शनीय स्थान होंगे। यहाँ आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकेंगे। एक गुरुकुल भी बनेगा।
जानें क्या होगी खासियत
- ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आचार्य शंकर की 108 फीट की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना और अन्य कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाने के लिए वास्तुविद सलाहकार की नियुक्ति की गई है।
- ओंकारेश्वर प्रकल्प के लिए 58.30 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध हुई है।
- मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम को मैनेजमेंट और निर्माण एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।
- आचार्य शंकर की प्रस्तावित निर्मितियों के अस्थाई प्रदर्शन के लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है।
- ओंकारेश्वर में प्रकल्प के क्रियान्वयन में जो प्रमुख कार्य होंगे उनमें अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण, संस्थान में सात केन्द्र जो स्कूल के रूप में कार्य करेंगे, शामिल हैं।
- प्रेजेंटेशन में बताया गया कि ओंकारेश्वर में किए गए कार्यों के फलस्वरूप टेंपल टाउन की छवि विकसित होगी।
- जिस कंपनी ने गुजरात में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और दुबई की बुर्ज खलीफा जैसी इमारतों को बनाने में सहयोग किया है, उसी कंपनी को इस प्रतिमा को बनाने का काम सौंपा जाएगा।
- मूर्ति को ‘कमल’ के आकार के करीब 27 फीट ऊंचे बेस पर खड़ा किया जाएगा।
- आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 280 मीटर (918 फीट) होगी।
- प्रोजेक्ट की लागत करीब 2 हजार करोड़ रुपए आएगी।