भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के 11630 पुलिस कर्मियों (police) को शिवराज सरकार (shivraj government) ने बड़ा दिया है। दरअसल बीते दिनों सीएम शिवराज (CM Shivraj) ने मध्य प्रदेश पुलिस रेगुलेशन एक्ट (Madhya pradesh police regulation act) में संशोधन कर कार्यवहन का प्रावधान कर दिया है। इसके साथ ही प्रधान आरक्षक से उप पुलिस अधीक्षक स्तर के खाली पदों को भरने का रास्ता भी साफ हो गया है। बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (narottam mishra) ने पुलिसकर्मियों के पदोन्नति पर लगी रोक के बावजूद उन्हें प्रोन्नत किए जाने के लिए बीच का रास्ता निकाले जाने का ऐलान किया था।
दरअसल मध्य प्रदेश पुलिस रेगुलेशन एक्ट में संशोधन के बाद अब कनिष्ठ अधिकारी को पुलिस उपमहानिरीक्षक, सहायक उपमहानिरीक्षक को उप निरीक्षक के पद का लाभ दिया जा सकेगा। हालांकि इस प्रक्रिया में अनुभव व पात्रता के आधार पर प्रोन्नति दी जाएगी। मध्यप्रदेश पुलिस रेग्युलेशन के पैरा 72 में संशोधन कर जहाँ रिक्तियों को तत्काल भरने की आवश्यकता है और फीडर पद पर उपयुक्त शासकीय सेवक उपलब्ध है। ऐसी दशा में उच्चतर पद पर कार्यवाहक नियुक्ति दी जायेगी। बुधवार को अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने इसके लिए आदेश जारी कर दिए।
बता दें कि आरक्षक से प्रधान आरक्षक पद के लिए 5 साल के सेवाकाल अनिवार्य है। इसके साथ ही प्रधान आरक्षक से सहायक उपनिरीक्षक के लिए 3, उपनिरीक्षक से निरीक्षक के लिए 6 साल और निरीक्षक से उप पुलिस अधीक्षक के लिए 8 साल की सेवा पुलिस विभाग में जरूरी की गई है। इसके साथ ही उच्चतर पद पर कार्य में सिर्फ पुलिसकर्मियों को पद का लाभ मिलेगा। वेतनमान नहीं पड़ेगा। वहीं प्रोन्नति अधिकारी कर्मचारी को वर्दी पर उच्चतर पद का रैंक लगाने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि वह वरिष्ठता के वेतन की पात्रता नहीं रखेंगे।
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पद खाली
मध्य प्रदेश पुलिस में उप पुलिस अधीक्षक के 300, निरीक्षक के 702, उप निरीक्षक के 770, सहायक उपनिरीक्षक के 4162 और प्रधान आरक्षक के 5768 पद खाली है। इस मामले में मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा (rajesh rajoura) का कहना है कि उच्च पद का कार्यवहन प्रभार मिलने पर पुलिसकर्मी उच्चरण की वर्दी धारण कर पाएंगे। जिससे उनके अंदर संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा। इसके साथ ही विभागीय दक्षता भी बढ़ेगी।
गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश में अप्रैल 2017 से प्रोन्नति पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही मार्च 2020 तक बड़ी संख्या में अधिकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। करीब 28000 से अधिक अधिकारी कर्मचारी बिना पदोन्नति सेवानिवृत्त हो गए हैं। पदोन्नति नहीं मिलने पर पुलिसकर्मियों में भी असंतोष की भावना देखने को मिल रही थी। जिसके बाद राज्य शासन ने एक्ट में संशोधन करते हुए पुलिसकर्मियों के प्रोन्नत होने का रास्ता साफ किया है।