बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी : शिवराज की सीएम मोहन यादव, नरोत्तम मिश्रा की कैलाश विजयवर्गीय से ‘शिष्टाचार भेंट’

Shivraj met CM Mohan

Shivraj met CM Mohan Yadav : हर मुलाक़ात का सबब हो…ज़रुरी तो नहीं। लेकिन जब बात सियासत की हो तो यहां कुछ भी बेसबब नहीं होता। दो नेताओं का मिलना भले ही ‘सौजन्य भेंट’ कहलाए..लेकिन यहां भी कई अनकही बातें होती हैं। और वो लम्हें कुछ ज़्यादा ख़ास हो जाते हैं जब कोई ‘भूतपूर्व’ किसी ‘मौजूदा’ से मिलता है। कल तक जिनसे मिलने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता था..वो ख़ुद आज किसी से मिल रहे हैं। राजनीति की यही विशेषता है..यहां कुछ भी स्थायी नहीं और कोई भी सदा के लिए नहीं होता।

‘ये मुलाक़ात एक बहाना है’

मिलने को तो दो धुर विरोधी नेता भी मिलते हैं और ऐसे में कहा जाता है कि उनमें मतभेद भले हो..मनभेद नहीं है। मगर जब दो ऐसे नेता मिले जिनमें ज़ाहिर तौर पर न तो मतभेद है न ही मनभेद, फिर भी ‘साफ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नही’ वाला सिलसिला हो तो ख़बर बननी लाज़मी है। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मोहन यादव तथा पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय की मुलाक़ात की।

‘शिष्टाचार मुलाक़ात’

हाथों में हाथ, चेहरे पर मुस्कुराहट और जबान पर मिश्री…शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को जब मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिले तो ब़ड़ी सुंदर तस्वीर सामने आई। उन्होने लिखा कि ‘मुख्यमंत्री जी से उनके निवास पर शिष्टाचार भेंट हुई और प्रदेश की प्रगति एवं जनकल्या से संबंधित विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा हुई।’ वहीं पूर्व गृहमंत्री, जो अब पूर्व विधायक भी हो चुके हैं..उनके निवास पर वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय पहुंचे। नरोत्तम मिश्रा ने लिखा ‘इस अवसर पर उन्हें नूतन दायित्व की बधाई दी। आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि आपके अनुभव से मध्यप्रदेश विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।’ 

मध्य प्रदेश में इस बार भी बीजेपी ही सत्ता पर काबिज़ हुई है..लेकिन चेहरे बदल चुके हैं। एमपी के और बीजेपी के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड कायम कर चुके शिवराज सिंह चौहान अब भूतपूर्व हो चुके हैं। सीएम मोहन यादव की नई टीम का गठन हो गया है।हालांकि शुरु से ही शिवराज सिंह चौहान सहित सभी नेता नई टीम के गठन पर खुशी व्यक्त कर रहे है और ये भी कहा है कि पार्टी का निर्णय हर तरह से स्वीकार्य है। लेकिन कल तक तो केंद्र में थे..उनका धुरी से भी बाहर आ जाना कहीं न कहीं पीड़ादायक तो होता ही होगा। वैसे, ये कहना भी सही नहीं होगा कि इन नेताओं की राजनीतिक पारी समाप्त हो गई है क्योंकि कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी शिवराज को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। वहीं नरोत्तम मिश्रा जैसे कद्दावर नेता का भी सही उपयोग किया जाएगा। लेकिन आज की स्थिति में ये बदली हुई तस्वीरें ही वास्तविकता है और इस तरह की शिष्टाचार मुलाकातों का सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना बरकरार है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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