भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के निशाने पर भी मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी आ गई है।आज भोपाल के मिंटो हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने बिना नाम लिए ब्यूरोक्रेसी (MP Bureaucracy) पर तंज कसा।हालांकि उन्होंने यह बात हंसी में कही लेकर सियासी गलियारों में इसके कई मायने निकाले जा रहे है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगर सेक्रेटेरियट (ministry) में बैठ जाओ तो यहां तो रंगीन पिक्चर खेंच दी जाती है कि महाराज सब दूर आनंद ही आनंद है, पर फील्ड में जाओ तो जनता से मिलकर पता चलता है, कहाँ तक आनन्द पहुँचा। इसके बाद वे और मंच के सामने बैठे सभी अधिकारी भी जोर से हंसने लगे। वही मंच पर बैठे अधिकारी से उन्होंने कहा कि मैं संजय शुक्ला के बारे में नही बोल रहा।नीचे भी काम मुख्यमंत्री की आँख का इशारा देखकर होता है, सीएम जिस पर फोकस कर लें वहीं विकास तेजी से होता।हालांकि उन्होंने यह बातें मजाक में कही, लेकिन सियासी गलियारों में कई मायने निकलना शुरु हो गए है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने MPTradePortal को आज लॉन्च किया है। इससे हम आयात और निर्यात करने वालों को जोड़ेंगे। एक्सपोर्ट की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करेंगे। निर्यात के लिए जो इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिये, उसका हम विकास करेंगे।हमारे उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में अग्रणी होना होगा, इसके लिए एक्सपोर्ट किये जाने वाले उत्पादों को वैश्विक बाजार के अनुरूप बनाना होगा। बाजार और सरकार मिलकर काम करेंगे।
बता दे कि हाल ही में उमा भारती ने ब्यूरोक्रेसी को नेताओं की कृपा पर चलने वाला बताकर कहा था कि ब्यूरोक्रेसी की औकात ही क्या है! ब्यूरोक्रेसी हमारी चप्पल उठाती है। ब्यूरोक्रेसी है क्या! यह तो हम लोगों की यानी राजनेताओं की चप्पल उठाती है। आपको लगता होगा कि ब्यूरोक्रेसी नेता को घुमाती है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। नेता अकेले में ब्यूरोक्रेसी के समझाने से राजी हो जाता है।
उमा भारती ने आगे कहा कि मैं तो 11 साल मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रही हूं। पहले अकेले में बैठ कर बात होती है। बाद में फाइल तैयार होती है। ब्यूरोक्रेसी की आखिर औकात क्या है जो हो वह राजनेता को घुमा ले। हम उन्हें प्रमोशन देते हैं, हम उन्हें पोस्टिंग देते हैं। दरअसल राजनेता ब्यूरोक्रेसी के माध्यम से अपनी राजनीति साधते हैं।हालांकि बाद में बवाल मचने पर उमा बैकफूट पर आ गई थी और अपने बयान पर सफाई देने लगी थी।
About Author
Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)