इंदौर। आकाश धोलपुरे।
माया नगरी मुंबई पर कोरोना की इतनी बुरी मार पड़ी है कि भूख से लाचार मजदूरों ने लॉक डाउन के बाद से ही पलायन शुरू कर दिया था। इधर, सबसे बड़ी बात ये है कि अकेले मुंबई से अब तक हजारों ऑटो रिक्शा चालक यूपी और बिहार पहुंच चुके है। एक आंकड़े के मुताबिक यूपी और बिहार के लगभग सवा लाख रिक्शा चालक मुंबई में रिक्शा चलाकरअपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे लेकिन मुंबई में लॉक डाउन की मार धंधे पर पड़ी तो एक – एक कर ऑटो चालक और उनके परिवार अपने मूल निवास की ओर पलायन करने को मजबूर है। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार लाख मजदूरों की देख रेख के दावे कर रही हो लेकिन मुंबई से मिनी मुंबई तक सफर कर चुके ऑटो चालकों की माने तो वहां काम नही है ऐसे में भूख से बैचेन परिवार और किराए से ली गई खोली का बढ़ता भाड़ा उन पर कहर बनकर टूट पड़ा है। जिसके चलते वो अब अपने अपने राज्यो की ओर तीन पहिया ऑटो पर ही निकल पड़े है।
रोजगार की लाचारी और भूख से बिलखती जिंदगी को फिर से संवारने का आस में बॉलीवुड नगरी मुंबई से पलायन करने वाले रिक्शा चालकों को अब यूपी की योगी और बिहार की नीतीश सरकार से ये उम्मीद है कि वो अब कुछ ऐसा करे कि उन्हें सपनो की नगरी की बजाय हकीकत की जमीन पर हमेशा के लिये आसरा मिल सके। जानकारी के मुताबिक बीते 5 से 6 दिनों में करीब 40 हजार से अधिक रिक्शा वाले मुंबई से पलायन कर चुके है और अब इनको अपनी अपनी राज्य सरकारों से रोजगार की उम्मीद है। बता दे कि न तो मुंबई में महाराष्ट्र सरकार और ना ही ऑटो यूनियन, रिक्शा वालो की खैर खबर ले रही थी और तो और मुंबई और महाराष्ट्र पुलिस ने एम.पी. और महाराष्ट्र की बॉर्डर तक आते – आते चालको पर जमकर निशाना साधा। रिक्शा वालो की माने मध्यप्रदेश की बॉर्डर में पहुंचते ही उन्हें जगह – जगह खाना और पानी मिल रहा है महाराष्ट्र में तो हालात बेहद खराब है। अपने गृह क्षेत्र में जाने को ललायित हर रिक्शा वाला बस ये ही सोच रहा है कि अब उसे दोबारा मुंबई न जाना पड़े क्योंकि जिस नगरी को संवारने में उन्होंने वर्षो मेहनत की है वो ही माया नगरी संकट के समय दाने – दाने का हिसाब रख रही है हालांकि रिक्शा चालकों ने कुछ संभ्रात लोगो की तारीफ भी की जिन्होंने उनकी मदद की है।
इंदौर बायपास से होकर गुजर रहे ऑटो चालकों ने बताया कि रिक्शा में पेट्रोल भरवाने का एक ही जरिया है जिसे मिन्नत कहते है और इसी के सहारे उन्हें पेट्रोल पम्पो से पेट्रोल मिल रहा है हालांकि इन चालको के पास बाहरी राज्यो में ऑटो से आने – जाने का कोई परमिट नही है लेकिन कोरोना काल इन चालको को ये भी परमिट नही कर रहा है कि भूख से तड़पते परिवार को मरता देखे इसलिए 1400 किलोमीटर से अधिक दूरी का सफर करने की हिम्मत रिक्शा वालो ने जुटाई है।
ठाणे मुंबई से राजू सिंह अपने परिवार की 3 महिला सदस्यों को लेकर यूपी के इलाहाबाद जा रहे है जो मानते है कि अब मुंबई में उनके लिए कुछ नही बचा है। वही ऑटो चालक राजेश सिंह भी 4 दिन पहले मुंबई से अपने 2 बेटों व एक भतीजे के साथ यूपी के लिये निकले है उन्होंने बताया कि अब तक 40 हजार रिक्शा वाले मुंबई से निकल चुके है। इधर, दिलीप शुक्ला नामक ऑटो चालक मुंबई से अपनी पत्नी और 10 साल के बेटे के साथ लंबे सफर पर निकले है और मुमकिन है की वो अगले 2 से 3 दिन में अपने घर पहुंच जाए। मुंबई के साकीनाका से परिवार सहित निकले यूपी के विनोद गिरी ने बताया कि जब तक कोरोना संकट टल नही जाता तब तक तो वो मुंबई जाने के बारे ख्याल भी नही लाएंगे।
पलायन करने वाले ऑटो चालको की मजबूरियां, जिंदगी की जद्दोजहद और उस पर लंबे सफर के फासले को तय करने की बात बताने के लिये काफी है। ऐसे में सवाल अब महाराष्ट्र सरकार पर उठने लाजमी है वही यूपी और बिहार के सीएम पर भरोसा कर पलायन करने वाले रिक्शा चालको का आगे क्या होगा इसके बारे में अभी कुछ कहा नही जा सकता है।