10 साल का मासूम बेच रहा था जुराबें, मुख्यमंत्री की नजर पड़ी और बदल गई तकदीर

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बचपन पर गरीबी भारी पड़ती है और हालात कई बच्चों को मजबूर कर देते हैं कि वो कम उम्र में ही जिम्मेदारियां उठाने लग जाएं। किताबें थामने की उम्र मजदूरी और कामकाज के बोझ तले दब जाती है। लेकिन कई बार कुछ बच्चों का नसीब वंश की तरह जाग जाता है, जहां उसे सहारा देने के लिए खुद मुख्यमंत्री सामने आते हैं।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।