मध्यप्रदेश उपचुनाव के बाद अधर में लटका इन विधायकों का भविष्य!

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश उपचुनाव (MP By-election) में बीजेपी की बंपर जीत के बाद शिवराज सरकार तो परमानेंट हो गई लेकिन निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों के अरमानों पर पानी फिर गया। पिछली सरकार में गेम चेंजर साबित हुए यह विधायक BJP की सरकार सेफ होने के बाद खुद को अनसेफ महसूस कर रहे है, विधायकों को अपना राजनैतिक भविष्य अधर में लटकता हुआ नजर आ रहा है। यही कारण है कि बसपा (BSP)-सपा(SP) विधायकों ने सरकार से संपर्क तेज कर दिया है, हालांकि भाजपा की ओर से भी सभी को साथ लेकर चलने का भरोसा दिलाया जा रहा है।अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन विधायकों का भाजपा समर्थन स्वीकार करती है या नही? क्या इन्हें निगम मंडल या आयोग में जगह मिलेगी?

दरअसल, उपचुनाव के पहले तक भाजपा और कांग्रेस (Congress) को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में सपा (Samajwadi Party), बसपा (BSP) और निर्दलीय विधायक किंग मेकर (King Maker) की भूमिका निभाने वाले थे, दोनों ही दल लगातार इनसे संपर्क बनाए हुए थे, लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद पूरे समीकरण ही बदल गए ।28 में से BJP ने 19 और कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की है यानि शिवराज सरकार (Shivraj Government) बहुमत से आंकड़ा पार कर परमानेंट हो गई है, लेकिन सपा (SP) से संजीव शुक्ला , बसपा (BSP) से रामबाई और राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायकों सुरेंद्र सिंह शेरा (Surendra Singh Shera) , प्रदीप जायसवाल (Pradeep Jaiswal) , केदार डावर (Kedar Singh Davar) और विक्रम सिंह राणा (Independent MLA) असुरक्षित हो गए। इन विधायकों को भविष्य की चिंता सताने लगी है।इसमें सबसे ज्यादा चिंतित बसपा से निलंबित रामबाई, सपा विधायक संजीव शुक्ला और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा है।इन विधायकों को खुद के उपेक्षित होने का डर सताने लगा है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)