इन कलेक्टरों की लापरवाही ने कराई चुनाव आयोग की किरकिरी

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भोपाल। मप्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शांतिपूर्ण कराने में आयोग सफल रहा है। चार जिले खंडवा, खरगोन, सागर एवं अनूपपुर के कलेक्टरों की लापरवाही की वजह से आयोग एक बार फिर कठघरे में खड़ा हो गया है। प्रदेश के चार जिलों में ईवीएम मतदान से 2 एवं तीन दिन बाद जमा कराने के लिए लाई गईं है। जिससे देश भर में आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। 

ईवीएम देरी से पहुंचने के मामले में कलेक्टरों की लापरवाही रही है। सागर कलेक्टर आलोक कुमार, खंडवा कलेक्टर विशेष गढ़पाले, अनूपपुर कलेक्टर अनुग्रह पी एवं खरगोन कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने ईवीएम जमा कराने में लापरवाही बरती। जिसकी वजह से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर देशभर में सवाल उठा रहे हैं। 

मतदान के बाद ईवीएम देरी से पहुंचने का मामला सबसे पहले सागर जिले में सामने आया था। जहां 30 नवंबर को खुरई विधानसभा क्षेत्र से 35 करीब ईवीएम को बिना नंबर की गाड़ी से स्ट्रांग रूम में जमा करने के लिए लाया गया था। ईवीएम दो दिन बाद पहुंचने पर जिला प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई। देश भर में आयोग की मंशा पर सवाल उठने लगे। हालांकि आयोग ने ईवीएम देरी से पहुंचने पर कलेक्टरों का बचाव करते हुए इसे मानवीय भूल माना। इसी दिन खरगोन में भी ईवीएम देरी से पहुंचने का मामला सामने आया। 

सागर और खरगोन का मामला शांत नहीं हुआ उससे पहले ही अनूपपुर में भी 1 दिसंबर को मतदान के तीन दिन बाद 35 ईवीएम स्ट्रांग रूम पहुंचने का मामला सामने आ गया। यहां प्रशासन ने गुपचुप तरीके से ईवीएम को स्ट्रांग रूम में जमा करने की तैयारी में था, लेकिन उससे पहले ही मामला उजागर हो गया। इस मामले को अनूपपुर कलेक्टर अनुग्रह पी ने सामान्य बताया और किसी भी गड़बड़ी से इंकार किया। इसी तरह खंडवा के पंाधाना में भी ईवीएम देरी से पहुंचने का मामला सामने आया। इन सभी मामलों की शिकायत चुनाव आयोग से की है। चुनाव आयोग ने जांच के आदेश दिए हैं। अभी तक आयोग ने सागर के खुरई विधानसभा सीट पर ईवीएम देरी से पहुंचने के मामले में एक तहसीलदार को निलंबित किया है। 


एक साल पहले सीईओ ने कराई थी किरकिरी

अटेल विधानसभा उपचुनाव के दौरान के मप्र की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह की वजह से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठे थे। सलीना सिंह ने अटेर में ईवीएम वीवीपैट के प्रयोग के दौरान सभी वोट एक ही पार्टी के पक्ष में जाने पर वहां मौजूद पत्रकारों को मामला उजागर करने पर जेल में डालने की बात कही थी। इस घटना से जुड़ा वीडियो वायरल हो गया था। इस मामले में चुनाव आयोग की किरकिरी हुई थी। तब आयोग को सफाई देनी पड़ी थी।


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