सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त योजनाओं पर सरकार से किए सवाल ‘फ्री की रेवड़ी कब तक बांटी जाएगी’, कहा- रोजगार के अवसर बनाने पर दें ध्यान

अदालत ने केंद्र सरकार से मुफ्त राशन योजनाओं पर सवाल उठाए हैं और रोजगार के अवसर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। कोर्ट ने कहा कि freebies की बजाय सरकार को रोजगार के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

Shruty Kushwaha
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Supreme Court questions government on free schemes : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं को लेकर सवाल किए हैं और सख्त टिप्पणी की है। सोमवार को ई-श्रम पोर्टल के तहत रजिस्टर्ड 28 करोड़ श्रमिकों और अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड देने के मामले पर सुनवाई करते हुए ये बात कही गई। अदालत ने कहा कि ‘फ्री की रेवड़ी कब तक बांटी जाएगी’ ? इसी के साथ ये भी कहा कि कोविड के बाद से फ्री में राशन प्राप्त कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार निर्मित किए जाने की आवश्यकता है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर वे राज्यों को आदेश देते हैं कि सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दिया जाए तो कोई भी वहां दिखाई नहीं देगा, वे भाग जाएंगे। राज्यों को पता है कि ये केंद्र सरकार का दायित्व है, इसीलिए वे राशन कार्ड जारी कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी 

देश की शीर्ष अदालत ने मुफ्त राशन योजना पर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने सवाल उठाया है कि सरकार कब तक लोगों को मुफ्त राशन देती रहेगी और क्यों रोजगार के अवसर पैदा नहीं किए जा रहे हैं। सोमवार को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। इसके जवाब में, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि इसका मतलब यह है कि सिर्फ टैक्स देने वाले लोग ही इस योजना से बाहर हैं।

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जानकारी दी कि वर्तमान में 81.35 करोड़ लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस पर एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण गरीबों की स्थिति और भी बिगड़ गई है क्योंकि बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ई श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को फ्री राशन दिया जाना चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि सरकार को यह विचार करना चाहिए कि रोजगार के अवसर कैसे पैदा किए जा सकते हैं।

‘रोजगार के अवसर पैदा करें’

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस समय हैरानी व्यक्त की जब केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या सब्सिडी वाले राशन का वितरण किया जा रहा है। इस पर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, “इसका मतलब है कि केवल टैक्सपेयर्स ही बाकी रह गए हैं।” सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मुफ्त सुविधाएं देने के स्थान पर सरकार को रोजगार के अवसर बनाने की जरूरत है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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