भाजपा के लिए गले की फांस बनी ये सीट, भोपाल के लिए भी नहीं मिल रहा उम्मीदवार

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के बीच इस बार कई सीटों पर कांटे का मुकबाला होने की संभावना है। प्रदेश की दो हाई प्रोफाइल सीटों पर अब तक बीजेपी ने निर्णय नहीं लिया है। वहीं, कांग्रेस ने भी गुना और इंदौर सीट पर अबतक उम्मीदवरा तय नहीं किया है। इंदौर सीट पर सुमित्रा महाजन के पत्र के बाद से सियासत गरमा गई है। ताई के पत्र के बाद बीजेपी के लिए इंदौर सीट गलें की फांस बन गई है। एक तरफ ताई के समर्थन टिकट देने की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर ताई ने भी चुनाव नहीं लड़ने की ठान ली है। 

कांग्रेस ने प्रदेश में अभी तक 22 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है तो भाजपा ने 21 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है। कांग्रेस और भाजपा ने मध्यप्रदेश में होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। लेकिन कांग्रेस की ओर से भी इंदौर सीट पर अबतक असमंजस बना हुआ है। पार्टी की ओर से यह तय नहीं हो पा रहा है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारा जाए या नहीं। उनके नाम की अटकलें लगातार ग्वलियर और इंदौर सीट से चल रही हैं। बीचे में दीपक बाबरिया के बयान से के बाद इन अटकलों पर विराम भी लगा था। लेकिन लगातार हो रही देरी के कारण अब फिर से चर्चाओं का बाजार गरम हो रहा है। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 9 अप्रैल को पूरी हो जाएगी। चौथे चरण में मध्यप्रदेश की छह लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। जिन छह लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है उनमें सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा शामिल है। 

यहां कांग्रेस को जीत की उम्मीद

भोपाल, इंदौर, विदिशा, मुरैना, भिंड, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, जबलपुर, बालाघाट, बैतूल और रीवा लोकसभा सीटें शामिल हैं। हालांकि रीवा में भाजपा ने भी लगातार जीत दर्ज नहीं की है। 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां से बहुजन समाज पार्टी के देवराज पटेल ने जीत दर्ज की थी भाजपा यहां भले ही लगातार चुनाव नहीं जीती हो पर कांग्रेस के जीत का खाता यहां 15 सालों से ज्यादा के समय पर नहीं खुला है।


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