Madhya Pradesh : उपचुनाव के बाद फिर चर्चाओं में लक्ष्मण सिंह का यह ट्वीट

Pooja Khodani
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Lakshman Singh

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अपने बयानों से हमेशा सुर्खियां बटोरने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के छोटे भाई और चाचौड़ा से कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह (Congress MLA Laxman Singh) एक बार फिर चर्चाओं में है। लक्ष्मण सिंह ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए है, पहले में उन्होंने कम्प्यूटर बाबा (Computer baba) के जेल से छूटने को लेकर चुटकी ली है और कार्यकर्ताओं को संभलने की बात कही है। वही दूसरे में प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) को सरकारी स्कूलों के बंद और निजी स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस को लेकर घेरा है।

दरअसल, लक्ष्मण सिंह ( Laxman Singh) ने पहले ट्वीट में लिखा है कि जेल से छूटते ही “बाबा”चले हरिद्वार!! पहले चले जाते तो “राजनीति”का नहीं होता “बेड़ा – पार”। अभी भी कुछ बचे हैं जो आगे दे सकते हैं नुकसान। कार्यकर्ताओं की भावना है इस बात का लिया जाए “संज्ञान”।इस ट्वीट के माध्यम से लक्ष्मण सिंह ने एक तीर से कई निशाने साध दिए है। उन्होंने इशारों ही इशारों में उपचुनाव (By-election) में मिली हार के बाद कार्यकर्ताओं और नेताओं को सीख दे दी है। सियासी गलियारों में लक्ष्मण सिंह के इस ट्वीट के कई मायने निकाले जा रहे है।खास बात ये है कि इस ट्वीट को उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ के साथ एमपी कांग्रेस (MP Congress) और हाईकमान को भी टैग किया है।

सरकारी स्कूल बंद, निजी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा

वही दूसरे ट्वीट में लक्ष्मण सिंह ने सरकारी स्कूलों बंद होने को लेकर लिखा है कि निजी स्कूल “ऑनलाइन” शिक्षा (Online classes) दे रहे हैं, परंतु सरकारी स्कूल बंद हैं,”ऑनलाइन”शिक्षा की तो बात ही नहीं हो रही है सरकारी स्कूलों (Government Schools) में। ऐसा क्यों? क्या हम शिक्षा (Education) के सम्पूर्ण निजीकरण की ओर जा रहे हैं? इस ट्वीट को भी लक्ष्मण सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan), कमलनाथ (Kamal Nath) और एमपी कांग्रेस-बीजेपी को टैग किया है।

लव जिहाद कानून बनाने पर BJP का समर्थन
दो दिन पहले ही लव-जिहाद पर कानून बनाने के शिवराज सरकार के फैसले का लक्ष्मण सिंह ने समर्थन किया था। लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि “बलपूर्वक” विवाह करना और “बलपूर्वक “धर्म परिवर्तन के खिलाफ अगर कानून बन रहा है. लेकिन जो लोग ऐसा नहीं करते है उन्हें इस कानून से डरने की क्या आवश्यकता है।

 

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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