भोपाल। मध्य प्रदेश में तबादलों पर लगी रोक पांच जून को हट चुकी है। इसके साथ ही सरकार 5 जुलाई तक तबादले कर सकती है। रोक हटे हुए दस दिन हो चुके हैं लेकिन किसी भी विभाग ने अब तक तबादलों की लिस्ट नहीं सौंपी है। जिसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि विभाग लिस्ट तैयार करने में व्यस्त हैं। जिससे ऐसा माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक बड़े पैमाने पर तबादले हो सकते हैं।
प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद राज्य सरकार की नई तबादला नीति भी आ गई है। हांलाकि नई नीति में कोई नई बात नहीं है, बल्कि लगभग वही नीति है जो कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय अस्तित्व में थी। इतना जरुर है कि इस बार जिला संवर्ग के तबादलों में प्रभारी मंत्री को ज्यादा ताकतवर बना दिया गया है। अब जिला संवर्ग में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर ही कलेक्टर तबादला कर सकेंगे। इससे पहले स्थानीय मंत्री की सहमति को भी अनिवार्य किया गया था, लेकिन इस बार ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इधर, अब राजधानी में तबादलों को लेकर मंत्रालय से लेकर मंत्रियों के बंगलों में सूची को लेकर माथापच्ची का दौर शुरू हो गया है। लेकिन किसी भी विभाग ने सूची को अंतिम रूप नहीं दिया है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि विभागों से थोकबंद तबादलों की सूची अगले सप्ताह से ही आना शुरू होगी।
इन विभाग में होंगे थोकबंद तबादले
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राजस्व विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग , परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग , सहकारिता विभाग, गृह विभाग , वित्त विभाग और वन विभाग जैसे बड़े महकमे शामिल हैं। 4 जून को राज्य सरकार ने प्रदेश की नई तबादला नीति घोषित की है, उस हिसाब से 200 तक की संख्या बल वाले महकमे में अधिकतम 20 फीसदी तक तबादले किये जा सकेंगे। वहीं 201 से लेकर 2000 तक की संख्या वाले महकमे कुल अधिकारियों- कर्मचारियों की संख्या बल के 10 फीसदी तक ही तबादले कर सकेंगे। इसी तरह 2000 से अधिक संख्या बल वाले महकमों में कुल कार्यरत अमला का 5 फीसदी तक तबादला किया जा सकेगा।
अनुसूचित क्षेत्रों में शत प्रतिशत पद भरने को प्राथमिकता
नई नीति में जो प्रावधान किया गया है, उस हिसाब से प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में खाली पड़े पदों में सबसे पहले पदों की पूर्ति की जाएगी। उसके बाद ही बाकी जिलों में पदस्थापना की जा सकेगी। वहीं यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में तीन वर्ष से कम अवधि तक पदस्थापना वाले कर्मचारियों का अनावश्यक तबादला नहीं किया जाये। तीन वर्ष से अधिक की अवधि पूरी करने वाले कर्मचारियों का ही तबादला किया जा सकता है। इसी तरह बाकी क्षेत्रों के लिये भी तीन वर्ष की समयसीमा एक ही स्थान पर पदस्थ रहने को माना गया है। यानि इन क्षेत्रों में तीन वर्ष से जमे अधिकारियों- कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से हटाया जाएगा। यदि किसी अधिकारी- कर्मचारी के बारे में कोई शिकायत है, या कोर्ट के कोई आदेश हैं, तो फिर उन्हें तीन वर्ष से पहले भी हटाया जा सकेगा।