Tulsidas Jayanti 2023 : श्रीराम के अनन्य भक्त, महान संत और 16वीं सदी के महाकवि, तुलसीदास जयंती आज

Tulsidas Jayanti 2023 : आज तुलसीदास जयंती है। हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है। इस बार उनकी 526वीं जयंती मनाई जा रही है। ईस्वी के अनुसार उनका जन्म 1532 में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के राजापुर गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम हुलसी एवं पिता का नाम तुलसीदास बताया जाता है। वे जन्म से ही रामभक्त थे और उनका पूरा जीवन इसी भक्ति को समर्पित रहा।

श्रीराम के अनन्य भक्त

महाकवि गोस्वामी तुलसीदास था ने महाग्रंथ श्रीरामचरितमानस की रचना की है। उन्हें 16वीं शताब्दी का महान संत और कवि माना जाता है। वे श्रीराम के अनन्य भक्त थे और कहा जाता है कि जन्म के तुरंत बात उनके मुख से ‘राम’ शब्द निकला था। इसलिए उनका नाम ‘रामबोला’ रखा गया था। तुलसीदास ने महाकाव्य श्रीरामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, विनयपत्रिका और बरवै रामायण सहित कुछ और ग्रंथों की रचना भी की है। मान्यता है कि उनपर हनुमान जी की कृपा थी और इसी वजह से उन्हें चित्रकूट घाट पर प्रभु श्रीराम के भी दर्शन हुए थे। उनके द्वारा रचित महकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वां स्थान प्राप्त है। वाराणसी में गंगा नदी पर स्थित तुलसी घाट उनके नाम पर ही रखा गया है।

पत्नी की फटकार ने बदला जीवन

तुलसीदास की के बारे में ये कथा मशहूर है कि वे अपनी पत्नी रत्नावली से बेहद प्रेम करते थे। इस प्रेम के कारण धीरे धीरे उनकी रामभक्ति कम होने लगी। एक बार उनकी पत्नी अपने मायके गई हुई थी और उन्हें उनकी याद सताने लगी। पत्नी का वियोग जब असह्य हो गयातो वो भारी बारिश और तूफान में उनसे मिलने पहुंच गए। रत्नावली दूसरी मंजिल पर सोती थी और तुलसीदास उनसे मिलने के लिए एक मोटी रस्सी पकड़कर ऊपर चढ़ गए। पत्नी ने उन्हें देखा तो पूछा कि आप यहां कैसे पहुंचे। इसपर उन्होने जवाब दिया- रस्सी पकड़़कर। जब रत्नावली ने जाकर देखा तो वो रस्सी नहीं असल में एक सांप था।

इसे देखकर रत्नावली बेहद दुखी हुई और फटकारते हुए तुलसीदास से कहा कि ‘लाज ना आई आपको दौरे आएहु नाथ, अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति ता। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत बीता।।’ अर्थात आपको मेरे हाड़ मांस की देह से इतना प्रेम और लगाव है, अगर इसकी आधी भी श्रीराम की भक्ति की होती तो आपका जीवन संवर जाता। अपनी पत्नी की इस बात को सुनकर तुलसीदास जी बेहद दुखी हुए, लेकिन उन्हें जीवन की नई दिशा भी मिल गई। इसके बाद उन्होने अपना सारा जीवन प्रभु राम की भक्ति में समर्पित कर दिया।

तुलसीदास के प्रसिद्ध दोहे

आज तुलसीदास जयंती पर हम आपके लिए लाए हैं उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे-

तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर ।

बसीकरन इक मंत्र है, परिहरू बचन कठोर ।।

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दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान,

तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण ।।

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आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।

‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह॥

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मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक |

पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक ||

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तुलसी’ साथी विपति के, विद्या, विनय, विवेक।

साहस, सुकृत, सुसत्य–व्रत, राम–भरोसो एक॥

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तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।

सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥

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सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।

राज धर्म तन तीनि कर होई बेगिहीं नास।।

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About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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